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साल 2020 का अंतिम ग्रहण Chandra Grahan कार्तिक पूर्णिमा को, गर्भवती सत्रियां बरतें ये सावधानी

-जानें किस राशि पर लग रहा है Chandra Grahan

कटनीNov 28, 2020 / 03:15 pm

Ajay Chaturvedi

चंद्र ग्रहण (फाइल फोटो)

चंद्र ग्रहण (फाइल फोटो)

कटनी. साल 2020 का अंतिम ग्रहण Chandra Grahan कार्तिक पूर्णिमा को लग रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक उपछाया चंद्रग्रहण में न सूतक लगेगा और न किसी प्रकार के शुद्धिकरण की जरूरत होगी। इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकेंगे। यह वर्ष 2020) का चौथा व अंतिम चंद्रग्रहण है। यह चंद्रग्रहण भारत, अमेरिका, प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया और एशिया में देखा जा सकता है।
ज्योतिषियों के मुताबिक पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 29 नवंबर रविवार को दोपहर 12:47 बजे से होगा, जो 30 नवंबर दोपहर 2:59 बजे तक रहेगी। चंद्रग्रहण 30 नवंबर दोपहर 1:04 बजे से शुरू होगा और शाम 5:22 बजे तक रहेगा। हालांकि यह उपछाया ग्रहण है।
क्या होता है उपछाया चंद्र ग्रहण

ग्रहण से पहले चंद्रमा, पृथ्वी की परछाईं में प्रवेश करता है, जिसे उपछाया कहते हैं। इसके बाद ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। चंद्रमा जब पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में गए बिना, उसकी उपछाया से ही बाहर निकल आता है। चंद्रमा पर जब पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपछाया मात्र ही पड़ती है, तब उपछाया चंद्र ग्रहण होता है। इसमें चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है, बल्कि चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है।
गर्भवती स्त्रियां रहें सावधान

चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों के साथ ही इसके आसपास जन्मे शिशु को जन्‍म देने वाली महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मान्यता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं जाना चाहिए। मान्यता ये भी है कि चंद्र ग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए अशुभ प्रभाव वाला देने वाला होता है। यही वजह है कि ग्रहण काल में इन्हें घर में रहने की सलाह दी जाती है।
गर्भवती स्त्रियों के लिए मनाही
चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सब्जी काटना, कपड़े सीना जैसे कार्य निषिद्ध माने गए हैं। ऐसा करने से गर्भस्थ शिशु को शारीरिक दोष हो सकता है। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोना, खाना पकाना, और सजना-संवरना नहीं चाहिए।
गर्भवती स्त्रियों के लिए सुझाव
ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती स्त्री को तुलसी का पत्ता जीभ पर रखकर हनुमान चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए। इस दौरान देव मंत्रों के उच्चारण से भी ग्रहण के दुष्प्रभाव से रक्षा होती है। ग्रहण की समाप्ति के बाद गर्भवती स्त्री को पवित्र जल से स्नान करना चाहिए नहीं तो उसके शिशु को त्वचा संबधी रोग होने की आशंका होती हैं। चंद्र ग्रहण के दौरान मानसिक रूप से मंत्र जाप का बड़ा महत्व है। गर्भवती स्त्रियां इस दौरान मंत्र जाप कर अपनी रक्षा कर सकती है। इससे स्वयं के और गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक और उत्तम असर पड़ता है।
ये है सबके लिए मनाही
ग्रहण काल के दौरान पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। इसके अलावा ग्रहण के दौरान सोने से, किसी दवा का सेवन करने से और भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करने से भी बचना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है, यही वजह है कि जब भी चंद्रमा पर ग्रहण लगता है तो इसका सीधा असर मन पर पड़ता है। चंद्र ग्रहण का असर उन लोगों पर अधिक पड़ता है, जिनकी कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष बन रहा हो। चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पानी को अपनी ओर आकर्षित करता है, जिससे समुद्र में बड़ी -बड़ी लहरें काफी ऊचांई तक उठने लगती है। चंद्रमा को ग्रहण के समय अत्याधिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। इसी कारण से चंद्र ग्रहण के समय हवन, यज्ञ, और मंत्र जाप आदि किए जाते हैं।
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाला यह ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में लगने वाला है। राशि अनुसार लोग प्रभावित होते हैं। ग्रहण के दौरान निकलने वाली प्रदूषित किरणों का भी विपरीत प्रभाव मानव जीवन पर पर होता है। किसी भी ग्रहण का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर देखा जाता है। इसका सीधा असर व्यक्ति के मन पर पड़ेगा क्योंकि चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है।
उपछाया चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण तिथि 30 नवंबर 2020
उपछाया से पहला स्पर्श 30 नवंबर 2020 की दोपहर 1 बजकर 04 मिनट पर
परमग्रास चन्द्र ग्रहण 30 नवंबर 2020 की दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर
उपछाया से अन्तिम स्पर्श 30 नवंबर 2020 की शाम 5 बजकर 22 मिनट पर

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