जिले के कुआं व आसपास गांव में बाघ से किसी प्रकार की जनहानि न हो इसके लिए अब गांव के जनप्रतिनिधि आगे आ रहे हैं। कुआं गांव के सरपंच प्रहलाद सोनी ने बताया कि इन दिनों जंगल में महुआ बीनने व बारिश से पूर्व र्इंधन इंतजाम के लिए लकड़ी एकत्रित करने का सीजन है। ग्रामीणों का ज्यादा समय इन दिनों जंगल में ही कटता है इसके बाद भी सभी ग्रामीणों को समझाइस दी जा रही है कि वे जंगल में न जाएं। सरपंच के अनुसार बाघ के हमले से कई ग्रामीणों को पधुधन का नुकसान हुआ है। वन विभाग द्वारा उन्हे आर्थिक सहायता तो मुहैया कराई जा रही है, लेकिन जिन किसानों के बैल को ही बाघ ने मार दिया तो उसका खेती का तो रुक ही जाएगा। नया बैल ढूंढऩे के लिए मशक्कत भी करनी पड़ेगी।