बताया जा रहा है कि ठेकेदार फर्म लगातार उपकरण विदेश से आने के बहाने बनाता रहा और अफसर भी उसकी बातों में आकर समय पास करते रहे। अब सीएस राज्य शासन को पत्र लिखकर ठेकेदार फर्म सिद्धार्थ इंटरप्राइजेश को ब्लैक लिस्टेड करने की बात कह रहे हैं।
जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने दो साल पहले ही स्वीकृति दे दी थी, लेकिन इस मशीन से सर्वाधिक कमीं कोरोना संकट काल में महसूस हुई। कोरोना संक्रमितों के इलाज के दौरान फेफड़े का संक्रमण देखने के लिए डॉक्टरों ने मरीजों को सीटी स्कैन करवाने की सलाह दी तो शहर में ही ढाई हजार में होने वाले सीटी स्कैन के अस्पतालों ने पांच हजार रूपये तक चार्ज किए।
जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन लगाने में ठेकेदार फर्म की लापरवाही पर भोपाल के अफसरों के हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने की बात कही जा रही है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस मामले में समय रहते डायरेक्टर हेल्थ को कार्रवाई करनी थी, लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया।
सीटी स्कैन करवाने मरीज व उनके परिजन बताते हैं कि जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन नहीं लगने से इसका सीधा लाभ निजी अस्पतालों को मिल रहा है। कई मरीज आर्थिक रूप से परेशान होने के बाद बाद भी जान बचाने के लिए मंहगे दाम पर सीटी स्कैन करवाने के लिए निजी अस्पताल द्वारा मांगी गई रकम देने के लिए विवश रहते हैं।
जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा बताते हैं कि सीटी स्कैन मशीन लगाने में सिद्धाई इंटरप्राइजेस द्वारा लापरवाही बरती गई। फर्म द्वारा कहा जा रहा है कि अमेरिका से एक उपकरण आना है, इसके बाद मशीन इंस्टाल किया जाएगा। हमने राज्य शासन को पत्र लिखा है कि फर्म को ब्लैक लिस्टेड किया जाए।
यह भी जानें
– जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन लगने के बाद गरीब परिवारों को इसका लाभ नि:शुल्क मिलेगा। संचालन पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर होगा।
– सीटी स्कैन मशीन का लाभ इमरजेंसी में इलाज में मिलेगा। सिर, कंधे, रीढ़ की हड्डी, पेट, दिल, घुटना और छाती जैसे अंगों के अंदरूनी चित्र देखने के साथ ही आंतरिक चोट और रक्तस्राव की मात्रा का पता लगाने में मशीन से सहूलियत होती है।