यह होना था काम
पंचायतों के ओडीएफ हो जाने पर द्वितीय चरण में ठोस-तरल अपशिष्ट प्रबंधन के साथ स्वच्छता पर और भी फोकस करना है। इस पंचायतों में नाडेप टांका, कचरा खाद, सूखा और गीला कचरा के लिए अलग-अलग पिटों का निर्माण, वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण, नालियों का निर्माण, कचरा निपटान के लिए वाहनों की व्यवस्था आदि करना है।
खास-खास:
– जिले की बड़वारा, उमरियापान, तेवरी, बडग़ांव, बिलहरी, कन्हवारा में ही चलेगा पायलट प्रोजेक्ट।
– 2 अक्टूबर 2014 से जिले में शुरू हुआ था स्वच्छ भारत मिशन, अभियान के तहत एक लाख 4 हजार 767 बनाए गए हैं प्रसाधन।
– दो माह में प्रसाधन विहीन परिवार की तैयार करनी थी सूची, जिला पंचायत के पास एक भी परिवार की नहीं है जानकारी।
– सर्वे के लिए 472 स्वच्छाग्राही लगाए गए हैं, हर माह दिया जा रहा 3-3 हजार रुपये मानदेय, इसके बाद भी नहीं हो रहा काम।
इनका कहना है
जिला ओडीएफ होने के बाद जिले की 6 पंचायतों में पहले पायलेट प्रोजेक्ट के तहत ठोस-तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर काम होना है। जनवरी में स्वच्छाग्राहियों की ट्रेनिंग हुई है। एप में समस्या आ रहा है। शीघ्र ही इस काम तेजी लाई जाएगी।
आनंद पांडेय, प्रभारी डीसी, स्वच्छ भारत मिशन।