मर्ज शालाओं के शिक्षक अभी तक स्थाई पदस्थापना पाने को भटक रहे हैं। कई बार इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया है लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लापरवाही तय होनी चाहिए।
नवनीत चतुर्वेदी, महामंत्री मप्र शिक्षक कांग्रेस
कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को किया गया था एक साल पहले मर्ज, पदस्थ शिक्षकों की आज तक नहीं हो सकी स्थाई पदस्थापना
कटनी•Sep 03, 2018 / 12:06 pm•
mukesh tiwari
law of a school building is to improve education in katni
कटनी. जिले के आधा सैकड़ा शिक्षक, अध्यापक ऐसे हैं, जो बिना पढ़ाए ही सरकारी खजाने से वेतन ले रहे हैं। एक साल पूर्व शासन के आदेश पर २० छात्रों से कम संख्या वाले प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को नजदीक स्कूलों मेंं मर्ज करने के आदेश जारी हुए थे। आदेश के बाद स्कूलों को आपस में मर्ज कर दिया गया लेकिन बंद किए गए स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों की स्थाई रूप से पदस्थापना जिला शिक्षा विभाग नहीं कर पाया है। ऐसे में उनका उपयोग जरूरत के हिसाब से कार्यालयों या स्कूलों में किया जा रहा है। विभागीय लापरवाही के कारण पदस्थापना न होने से अधिकांश शिक्षक स्कूलों में पढ़ा ही नहीं रहे हैं।
वर्ष 2017 में शासन के आदेशानुसार मर्ज की जाने योग्य शालाओं के लिए कलेक्टर की मौजूदगी में बैठक हुई थी। जिसके बाद जिले की 26 प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को 20 से कम छात्र संख्या होने के कारण नजदीक स्कूलों में मर्ज किया गया था। आदेश के बाद मर्ज शालाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी विभाग को पदस्थापना करनी थी लेकिन आज तक लगभग 54 शिक्षक बिना नवीन पदस्थापना के विभाग में काम कर रहे हैं। उनमें से आसपास के स्कूलों में जरूरत के हिसाब से शिक्षकों की सेवाएं ली जा रही हैं तो कुछ जनपद शिक्षा केन्द्रों व दूसरे कार्यों में लगाए गए हैं। दूसरी ओर विभाग मर्ज स्कूलों में ही उनको भेजे जाने की बात कह रहा है और युक्तियुुक्तिकरण प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना की बात कही जा रही है।
शिक्षक संगठन भी उठा चुके हैं मुद्दा
मर्ज स्कूलों के पदस्थ शिक्षकों, अध्यापकों की नवीन स्थानों में स्थाई पदस्थापना न करने को लेकर शिक्षक संगठन भी मामले को कई बार उठा चुके हैं। इसके लिए डीइओ से लेकर कलेक्टर तक को पूर्व में संगठनों के पदाधिकारियों ने स्थाई नियुक्ति के लिए ज्ञापन सौंपा है लेकिन कार्रवाई आज तक अधूरी पड़ी है।
विजयराघवगढ़ में थे सबसे अधिक स्कूल
नियम के तहत मर्ज किए गए स्कूलों में सबसे अधिक संख्या विजयराघवगढ़ के स्कूलों की थी। तहसील में दस स्कूलों को मर्ज किया गया था। इसके अलावा बड़वारा के 4, बहोरीबंद के 5, ढीमरखेड़ा के 3, कटनी के दो और रीठी के दो स्कूल शामिल थे।
इनका कहना है…
शिक्षकों की पदस्थापना के संबंध में अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। यदि शिक्षकों की नवीन स्थानों पर अभी तक स्थाई पदस्थापना नहीं हुई है तो नियमानुसार कार्रवाई कराएंगे।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर
जिन स्कूलों को मर्ज किया गया है, उनमें ही पदस्थ शिक्षकों को भेजा गया है। युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया में अभी रोक है और प्रक्रिया शुरू होते ही जो अतिशेष होंगे उनकी पदस्थापना आवश्यकतानुसार की जाएगी।
आरएस पटेल, सहायक संचालक स्कूल शिक्षा विभाग
मर्ज शालाओं के शिक्षक अभी तक स्थाई पदस्थापना पाने को भटक रहे हैं। कई बार इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया है लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लापरवाही तय होनी चाहिए।
नवनीत चतुर्वेदी, महामंत्री मप्र शिक्षक कांग्रेस