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मशीन चलाने जिला अस्पताल प्रबंधन को तीन साल से नहीं मिल रहा मैकेनिक, वेटिंग में मरीज

25 से अधिक किडनी रोगी वेटिंग में, एक दिन में सिर्फ 4 की हो पा रही डायलिसिस

कटनीOct 03, 2018 / 12:11 pm

dharmendra pandey

Dialysis Machine Closed in District Hospital

Dialysis Machine Closed in District Hospital

कटनी. जहां एक तरफ सरकार स्वास्थ्य विभाग के लिए करोड़ो की योजना बनाई गई है। आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए तक एक साल में इलाज मुफ्त में कराने का दावा किया जा रहा है। जिला अस्पताल में लाखों की मशीनों की सुविधा भी दी गई, इन योजनाओं मशीनों का कितना फायदा मरीजों को रहा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। जिला अस्पताल में रेड क्रॉस द्वारा दी गई डायलिसिस मशीन तीन साल से बंद पड़ी है। मशीन आने के बाद कुछ दिन ही चली है और अब शोपीस बनकर रह गई है। पहले यह मशीन खराब थी, लेकिन अब मैकेनिक न होने के कारण उपयोग नहीं हो पा रहा। जिला अस्पताल में २ डायलिसिस मशीन चल रही हैं, लेकिन उनमें महज 4 डायलिसिस ही हो पा रहे हैं। ऐसे में मरीजों की लगातार वेटिंग बढ़ रही है। कलेक्टर केवीएस चौधरी ने 19 सितंबर को सेंटर का निरीक्षण किया था, जिसमें सीएस डॉ. एसके शर्मा से ने समस्या से अवगत कराया था, जिसके बाद कलेक्टर से समस्या समाधान कराये जाने का आश्वासन दिया है।

यदि किसी भी इंसान की किडनियां काम करना बंद कर दें तो आप समझ सकते हैं कि उस पर क्या बीत रही होगी। उसके दर्द निवारण का एक मात्र सहारा होता है डायलिसिस। लेकिन जिला अस्पताल में गुर्दा रोगियों के दर्द को कम करने वाली लाखों रुपए की मशीन पिछले एक साल से बंद पड़ी है। इसकी वजह से मरीजों का समय पर डायलिसिस नहीं हो पा रहा है। गुर्दा खराब होने की स्थिति में गरीबों, मध्यम वर्गीय लोगों को असमय मौत के मुंह से बचाने के लिए जिला अस्पताल में 2015 में डायलिसिस सेंटर खोला गया। यहां पर डीसीडीसी किडनी केयर देल्ली द्वारा मशीनों आदि का सेटअप जमाया गया और दो मशीनें लगाई गईं। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन द्वारा रोगी कल्याण समिति से एक और डायलिसिस मशीन लगाई गई। इस मशीन में महज 15 से 20 डायलिसिस हुए हैं और उसके बाद से मशीन पिछले तीन साल से बंद पड़ी है, जिसका अबतक सुधार नहीं हो पाया। आलम यह है कि दर्जनों मरीज डायलिसिस का इंतजार कर रहे हैं।

मरीजों को नहीं मिल रहा डायलिसिस का लाभ
डायलिसस सेंटर में एक दिन में 4 मरीजों का डायलिसिस हो रहा है। यदि दूसरी मशीन भी चालू होती तो दो अन्य मरीजों को भी इसका लाभ मिलता। उल्लेखनीय है कि जहरीला पदार्थ खाने, सर्पदंश, दुर्घटना सहित अन्य स्थितियों में भी डायलिसिस की आवश्यता होती है। ब्लड प्रेशर, शुगर व अन्य कारणों से जब मरीज की किडनी पूरी तरह से कामकरना बंद कर देती है और उन्हें नियमित डायलिसिस की आवश्यकता होती है। हैरानी की बात तो यह है कि इतने लंबे समय से खराब पड़ी मशीन को ठीक कराने अस्पताल प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया और गुर्दा रोगी दर्द को लेकर भटक रहे हैं।

डायलिसिस को लेकर खास-खास
– बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारकों का नि:शुल्क होता है डायलिसिस।
– एपीएल कार्ड धारकों से लिए जाते हैं मात्र 500 रुपए।
– निजी अस्पताल में डायलिसिस के लगते हैं 2 से 3 हजार रुपए।

इसलिए जरुरी है डायलिसिस
– रक्त में बढे हुए विषैले तत्व क्रिएटिनिन, यूरिया को बाहर कर रक्त को साफ करना।
– शरीर में जरुरत के अनुसार पानी का प्रमाण नियंत्रित करना।
– रक्त में सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, मैग्नीशियम आदि इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा नियंत्रित करना।
– रक्त में एसिड की मात्रा को नियंत्रित करना।
– क्रॉनिक रिनल डिजीज या क्रॉनिक किडनी डिजीज के कारण क्रिएटिनिन क्लियरेंस रेट 15 फीसदी या उससे भी कम हो जाए तो डायलिसिस करना पड़ता है।
– यूरिमिक पेरिकार्डाइटिस, यूरिमिक एनकेफे लोपैथी और यूरिमिक गैस्ट्रोपैथी जैसे रोगों की वजह से भी डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।

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