खासबात यह है कि पानी के नाम पर शुद्धता की गारंटी के बीच लोगों के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ को लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग भी बेपरवाह बना हुआ है। जानकर ताज्जुब होगा कि शहर और आसपास आरओ प्लांट की बीते सात माह से ज्यादा समय से सामान्य जांच भी नहीं हुई है। विभाग के अधिकारी इस मामले में शिकायत मिलने की बात कह रहे हैं। जानकारों का कहना है कि आरओ पानी के नाम पर नलकूप का पानी पीने वाले सामान्य उपभोक्ता फर्क नहीं समझ पाते हैं। इस कारण शुद्ध पानी सप्लाई के नाम पर मनमानी बढ़ गई है।
आरओ प्लांट को फरवरी 2019 के बाद फूड के दायरे में रखा गया। इसी के बाद से खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का नियंत्रण प्रारंभ हुआ है। कटनी में ऐसे पांच से ज्यादा आरओ प्लांट हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गर्मी के मौसम में नल का पानी आरओ के नाम पर सप्लाई किए जाने की शिकायत के बाद जांच की गई थी।
खाद्य एवं सुरक्षा प्रशासन विभाग के देवेंद्र दुबे बताते हैं कि बाजार अनलॉक होने के बाद पानी की सप्लाई बढ़ी है। लॉकडाउन के पहले नलकूप का पानी दिए जाने की शिकायत पर जांच की गई थी। शहर में जितने भी आरओ प्लांट है, उन सभी की जांच की जाएगी।
ऐसे हो रहा स्वास्थ्य से खिलवाड़
– जिन डिब्बों में पानी की आपूर्ति की जाती है, उनकी सफाई समय पर नहीं होती।
– पानी सप्लाई करने वाले भी कई बार पानी रखने और उपभोक्ता को देने के बीच निर्धारित शुद्धता मानकों का पालन नहीं करते।
– कई बार वाहन से डिब्बा उतारते समय ढक्कन खुल जाता है। सड़क पर ही उसे बंद किया जाता है। इस दौरान कर्मचारी का सिर भी कपड़े से नहीं ढंका होता है। कचरा व नुकसानदायक बैक्टिरिया के डिब्बे के अंदर जाने की आशंका बनी रहती है।
– ज्यादातर सप्लायर पानी सप्लाई करने वाले कर्मचारी की सुरक्षा और पते की पूरी जानकारी नहीं रखते हैं। रास्ते में ऐसे कर्मचारी अपने अधीन किसी से भी पानी सप्लाई करवाते हैं। इसमें नुकसान का अंदेशा बना रहता है।