scriptकटनी के इस गांव में चार साल बाद भी घर-घर नहीं पहुंचा टैप वॉटर | Drinking water crisis in Umariapan Gram Panchayat even after four years | Patrika News
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कटनी के इस गांव में चार साल बाद भी घर-घर नहीं पहुंचा टैप वॉटर

-घर-घर पानी पहुंचाने के लिए चार साल पहले ही स्वीकृत हुए थे 54 लाख रुपये-अब संबंधित पंचायत ने दी कोर्ट जाने की धमकी

कटनीSep 25, 2021 / 01:40 pm

Ajay Chaturvedi

drinking water crisis

drinking water crisis

कटनी. जिले के गांवों की हालत बेहद खराब है। स्थानीय जनप्रतिनिधि बार-बार जिम्मेदार अफसरों को पत्र लिख कर हालात सुधारने की मांग कर रहे हैं लेकिन उन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। नतीजा ये है कि चार साल पहले जिस काम के लिए 54 लाख रुपये स्वीकृत हुए वो काम अब तक नहीं हुआ जिससे वार्ड के लोगो को शुद्ध पेयजल तक नसीब नहीं हो पा रहा है। ऐसे में संबंधित पंचायत ने अब कोर्ट जाने की धमकी दी है।
जानकारी के मुताबिक जिले की जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के उमरियापान ग्राम पंचायतवासियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए शासन स्तर से 54 लाख रुपये स्वीकृत हुआ था। लेकिन चार साल बीत गए फिर भी ग्राम पंचायत के कई वार्डों तक पेयजल नहीं पहुंच पा रहा है। इसके चलते लोगों को पीने के पानी के लिए दूर-दूर का चक्कर लगाना पड़ता है। इस संबंध में उमरियापान ग्राम पंचायत की ओर से विभागीय अधिकारियों को कई बार मौखिक सूचना दी गई। यहां तक कि लिखित शिकायत भी की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
ऐसे में अब उमरियापान पंचायत ने संबंधित विभाग को चेतावनी भरा पत्र लिखकर अवगत कराया गया है कि यदि सात दिन में कार्य पूरा नहीं होता तो पंचायत की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। इस याचिका में संबंधित कार्यदायी संस्था, काम करने वाले ठेकेदार को भी पक्ष बनाया जाएगा।
ओवरहेड टैंक
वैसे पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों (सरपंच व सचिव) का आरोप है कि कार्यदायी संस्था और ठेकेदार की मिलीभगत से कार्य समय से नहीं हो पा रहा। जनप्रतिनिधियों का ये भी आरोप है कि कार्यदायी संस्था बिना काम पूरा हुए ही ठेकेदार को भुगतान भी कर दे रही है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि पूर्व में उमरियापान सरपंच और सचिव लिखित रुप से पत्र ठेकेदार का भुगतान रोकने के लिए कार्यदायी संस्था व विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजा गया था। यहां तक कहा गया था कि पंचायत स्तर से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी होने तक भुगतान न किया जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
वैसे ग्राम पंचायत की इस धमकी को कुछ लोग प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव से भी जोड़ कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि चार साल में काम नहीं हुआ तो ये सब पहले भी किया जा सकता था। जनप्रतिनिधियों को इतनी ही चिंता सता रही थी जनकल्याण की तो पहले ही ठोस पहल की जानी चाहिए थी। अब चुनाव सिर पर है तो यह विवाद खड़ा किया जा रहा है।
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