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कटनी

महंगा शौक, नशे की लत कच्ची उम्र में बना रहा अपराधी

सात माह में चालीस मामले आए सामने, मोबाइल चोरी, अपहरण, लूट व मारपीट जैसी वारदात को अंजाम दे रहे नाबालिग

कटनीAug 21, 2019 / 11:51 am

dharmendra pandey

Attenders beaten doctor in bhind hospital

tender age

कटनी. महंगे शौक, नशे की लत व कम उम्र में ही खुद को रौंबदार दिखाने की कोशिश में शहर में कच्ची उम्र के बच्चे खतरनाक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। बच्चा समझकर यदि आप किसी मासूम को आंख दिखाने की कोशिश करते हैं तो आपकी भूल हो सकती है। सच्चाई यह है कि गंभीर अपराधों को अंजाम देने में बाल अपराधी भी पीछे नहीं हट रहे हैं। बाल अपराधों को लेकर पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि नाबालिगों द्वारा सात माह में अपराध करने के 40 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इसमें सबसे अधिक मोबाइल चोरी, बलात्कार, मारपीट, अपहरण व लूट के मामले हैं। जिले में अपराधों को अंजाम देने वाले बाल अपराधी गर्लफ्रेंड को महंगे गिफ्ट, मौज मस्ती भरा जीवन जीने व शहर में बढ़ती स्मैक की लत में फंसने के कारण वारदातों में शामिल पाए गए।
बढ़ते बाल अपराध के ये कारण
– जिले में बढ़ते बाल अपराधों के प्रति अभिभावकों को भी जिम्मेंदार माना जा रहा है। अधिक व्यस्तता के कारण अभिभावक बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते, मोबाइल देकर उसकी निगरानी करना भूल जाते हैं। जिस वजह से बच्चे इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा संस्कारों की कमीं के कारण भी बच्चे गलत कदम उठा रहे हैं।
– जिले में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सहित कई ऐसी जगह हैं, जहां पर 18 साल से कम उम्र के बच्चों को नशीला पदार्थ बेचा रहा है। किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 77 का उल्लंघन होने के बाद भी जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जिसके कारण कच्ची उम्र के अपराधी अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इसमें बच्चे सेल्यूशन, आयोडेक्स तक का नशा कर रहे हैं।

रोकने करने होंगे ये काम
बच्चों को बाल अपराधी बनने से रोकने के लिए पालकों को बच्चों का पूरा ख्याल रखना होगा। बच्चों के लिए समय निकालना होगा। समय-समय पर मोबाइल की निगरानी करें। गलत काम के बारे में जैसे ही पता चले तो उन्हें टोंके। उन्हेें खुद अच्छा बनने के साथ अच्छे संस्कार दें। सही गलत का फर्क बताएं। गुड टच व बैड टच, गलत नियत के लोगों से बचने के उपाय सिखाएं।
कानून की नजर में बाल अपराध
किसी बच्चे द्वारा जब कोई कानून या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृष्टिकोण से बाल अपराध 18 साल के पहले तक माना जाता है। बाल अपराधियों को किशोर न्यायालय भेजा जाता है। यहां से बाल संप्रेक्षण गृह जबलपुर भेजा जाता है। यहां इनका सुधार होता है।

-बाल अपराधों में कमीं लाने के लिए सबसे पहले अभिभावकों को भी जागरुक होना होगा, कि कहीं उनका बेटा या बेटी गलत संगत में तो नहीं जा रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाया जाता है। जहां पर भी नशीले पदार्थ बिक रहे हैं, वहां पर कार्रवाई की जाएगी। बच्चों को अच्छे संस्कार देने होंगे, तभी वे अपराध की ओर जाने से बच पाएंगे।
ललित शाक्यवार, एसपी कटनी।
-आज आदमी की दिनचर्या व्यस्त हो गई हैं। जिसमें वह यह नहीं देख पा रहा है कि उनका बच्चा क्या कर रहा है। मोबाइल, टीवी में घटनाएं देखकर बच्चे उसे जल्द अपना लेते हैं और शार्टकट रास्ते से महंंगे शौक पूरा करने की कोशिश में अपराधी बन जाता है। ऐसे में मामलों में अधिकांश मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे होते हैं और ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले समय में स्थिति भयावह हो सकती है।
डॉ. रत्नेश कुरारिया, मनोचिकित्सक

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