रोकने करने होंगे ये काम
बच्चों को बाल अपराधी बनने से रोकने के लिए पालकों को बच्चों का पूरा ख्याल रखना होगा। बच्चों के लिए समय निकालना होगा। समय-समय पर मोबाइल की निगरानी करें। गलत काम के बारे में जैसे ही पता चले तो उन्हें टोंके। उन्हेें खुद अच्छा बनने के साथ अच्छे संस्कार दें। सही गलत का फर्क बताएं। गुड टच व बैड टच, गलत नियत के लोगों से बचने के उपाय सिखाएं।
कानून की नजर में बाल अपराध
किसी बच्चे द्वारा जब कोई कानून या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृष्टिकोण से बाल अपराध 18 साल के पहले तक माना जाता है। बाल अपराधियों को किशोर न्यायालय भेजा जाता है। यहां से बाल संप्रेक्षण गृह जबलपुर भेजा जाता है। यहां इनका सुधार होता है।
-बाल अपराधों में कमीं लाने के लिए सबसे पहले अभिभावकों को भी जागरुक होना होगा, कि कहीं उनका बेटा या बेटी गलत संगत में तो नहीं जा रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाया जाता है। जहां पर भी नशीले पदार्थ बिक रहे हैं, वहां पर कार्रवाई की जाएगी। बच्चों को अच्छे संस्कार देने होंगे, तभी वे अपराध की ओर जाने से बच पाएंगे।
ललित शाक्यवार, एसपी कटनी।
-आज आदमी की दिनचर्या व्यस्त हो गई हैं। जिसमें वह यह नहीं देख पा रहा है कि उनका बच्चा क्या कर रहा है। मोबाइल, टीवी में घटनाएं देखकर बच्चे उसे जल्द अपना लेते हैं और शार्टकट रास्ते से महंंगे शौक पूरा करने की कोशिश में अपराधी बन जाता है। ऐसे में मामलों में अधिकांश मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे होते हैं और ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले समय में स्थिति भयावह हो सकती है।
डॉ. रत्नेश कुरारिया, मनोचिकित्सक