इसलिए की जा रही है मनमानी
किसानों की मानें तो मंडी में व्यापारियों ने एक यूनिटी बना ली है। व्यापारी और बया मिलकर अपने हिसाब से रेट लगा रहे हैं। व्यापारियों और मंडी निरीक्षकों का तर्क होता है कि अभी तो बाजार में ही रेट नहीं है तो फिर हम क्या करें। खरीफ की खेती के लिए और कर्ज अदायगी के लिए किसानों को रुपयों की आवश्यकता है, इसलिए मजबूरी में वे उपज बेच रहे हैं।
इनका कहना है
सरकार ने अभी हाल ही में फसलों के एमएसपी निर्धारित की है। इसमें उड़द का दाम 5400 रुपए बताया गया है जिसमें 200 रुपए का बोनस शामिल कर 5600 किसान को मिलना है। मंडी में उड़द मात्र 2800 रुपए के भाव से लिया जा रहा है। यह किसानों के साथ खुली लूट है। व्यापारी मनमानी कर रहे हैं और मंडी प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा।
संतोष दुबे, किसान, ग्राम बिछिया।
—
किसान 4-5 माह तक धूप में तपकर किसी तरह फसल तैयार किया है, लेकिन जब उसे उसका हक मिलने का समय आया तो वह माटी मोल बिक रही है। सरकार 5600 रुपए उड़द लेने की बात कह रही है, लेकिन मंडी में 2500 से तीन हजार रुपए में खरीदी हो रही है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। मंडी सचिव सहित यहां पर तैनात मंडी निरीक्षक ध्यान नहीं दे रहे।
मुकेश पटेल, किसान, डीघी।
—
गांव में घर बैठे व्यापारी उड़द 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल खरीद रहे हैं। किसान वाजिब दाम के लिए समय और रुपए बर्बाद कर मंडी लेकर फसल पहुंचे हैं, लेकिन यहां पर व्यापारियों, बया और मंडी कर्मचारियों की मनमानी का भेट चढ़ रहे हैं। दो दिन का समय बर्बाद हो रहा है रेट भी सहीं नहीं मिल रहा। अंतर की राशि भी कब और कैसे मिलेगी अबतक कोई पता नहीं है।
सुनीता दुबे, किसान, उमरियापान।
—
मार्केट में अभी मूंग और उड़द का रेट नहीं है। इस वजह से यहां पर कम दाम में डाक चल रही है। फिर भी मंडी में तीन हजार से 3500 रुपए तक चल रहा है। किसानों को इसमें कृषक समृद्धि योजना के तहत अंतर की राशि की घोषण सरकार स्तर पर होना है, इसके अलावा बोनस भी 200 निर्धारित है।
पीयूष शर्मा, मंडी सचिव।