अबतक यह है स्थिति
जिले में अबतक 6 हजार 685 कृषकों से 55 हजार 45 मिट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है। खरीदी के एवज में अभी तक मात्र 34 हजार 225 मिट्रिक टन धान का उठाव हो पाया है। धान का उठाव धीमी गति से होने के कारण इसका असर खरीदी पर पड़ रहा है। स्टॉक अधिक बढऩे के कारण कृषकों को उपज रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही।
भुगतान की स्थिति गंभीर
जिले में धान बेचने वाले किसानों के लिए सबसे अधिक गंभीर समस्या भुगतान है। भुगतान की रफ्तार इतनी कम है कि किसानों के साथ बोनी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रबी की बोनी चरम पर है। खाद-बीज, जुताई, मजदूरी के लिए किसानों के पास रुपयों के लाले पड़े हुए हैं। अभी तक पोर्टल के आधार पर 181 किसानों को मात्र 2 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। भुगतान की गति को बढ़ाने के लिए जिम्मेदारों द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहे।
मनमानी पर भी नहीं विराम
हैरानी की बात तो यह है कि पहले केंद्र डिफाल्टर के नाम पर 15 से 20 दिन देरी से खरीदी शुरू हुई। अब खरीदी के बाद केंद्र प्रभारी किसानों को परेशान करके रखे हुए हैं। शासन द्वारा निर्धारित 40 किलो 580 ग्राम वजन के स्थान पर अधिकांश स्थानों में 600 से 700 ग्राम अधिक धान ली जा रही है। धान को पास कराने और पल्लेदारी अलग से वसूली जा रही है, इसके देखने वाला कोई नहीं हैं। अधिकारी भी केंद्रों का सिर्फ औपचारिक निरीक्षण कर रहे हैं।
उठाव अनुबंध के तीन दिन शेष
हैरानी की बात तो यह है कि अभी भी कें्रदों में 21 हजार मिट्रिक टन से अधिक धान परिवहन के लिए पड़ी हुई है। परिवहन ठेके का समय 31 दिसंबर को समाप्ति की ओर है। जिलेभर में राहुल सलूजा, जीसी चांदवानी, कन्हैया तिवारी द्वारा परिवहन किया जा रहा है। किसी भी केंद्र में मानक के अनुसार उठाव नहीं हुआ। तीन दिन में यदि अनुबंध नया नहीं होता तो फिर उठाव के लिए समस्या बढ़ जाएगी।
इनका कहना है
केंद्रों की लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। केंद्र प्रभारी व जिम्मेदारों को नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं। शिकायत मिलने पर तत्काल केंद्र प्रभारियों पर कार्रवाई की जा रही है। उठाव अनुबंध का तीन दिन का समय शेष है। फाइल ऊपर भेजी गई है, अभी कोई जवाब नहीं मिला। भुगतान में विलंब हो रहा है, उसमें तेजी लाने प्रयास किए जाएंगे।
पीके श्रीवास्तव, जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी।