यह है प्रक्रिया
सीएससी जिला प्रबंधक उपेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि टेली-लॉ के माध्यम से लाभ लेने के लिए हितग्राहियों को उनके गांव, पंचायत में उपस्थित सीएससी केंद्र जाना पड़ता है जहां पर सीएससी के पोर्टल के माध्यम से हितग्राही का ऑनलाइन पंजीयन होगा जिसमें नाम, उम्र,पता, फोन नंबर तथा समस्या का संक्षिप्त में वर्णन होगा और एक्सपर्ट से समय के लिए अपाइंटमेंट फिक्स कर लिया जा रहा है। एक्सपर्ट के द्वारा उस बुकिंग समय में हितग्राही को कानूनी सलाह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदान की जा रही है। सीएससी के माध्यम से टेली ला योजना का लाभ लेने के लिए हितग्राही अपना कोई भी पता का पूफ्र, जन्मप्रमाण पत्र, दिव्यांग है तो उसका सर्टिफिकेट लेकर पंजीयन काराना पड़ रहा है।
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केंद्र सरकार ने पूरे देश में लागू की योजना
सीएससी के माध्यम से योजना के पूरे देश में लागू होते ही जिले में इसका सफल प्रयोग हुआ। जिला प्रबंधक उपेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि रीठी जनपद अंतर्गत ग्राम रैपुरा में सीएससी संचालक राजीव गौतम, राहुल, अभय ने ग्राम के है पीडि़त सुरेन्द्र प्रसाद को कानूनी सलाह उपलब्ध कराई। ये उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तेवरी जिला जबलपुर में लेबोरटरी इंचार्ज के तौर पर पदस्थ थे। कमेटी के द्वारा ढाई माह का सेवा अनुदान प्रदान किया। जीवन भर कार्य करने के बाद भी विद्यालय का विलय शासन में हो जाने के बाद भी ना ही कोई राशि प्रदान की गई ना ही उनको नियुक्ति प्रदान की गई जिसपर आज इन्होंने संतोषजनक सलाह पैनल एक्सपर्ट दिलीप कुमार तिवारी से प्राप्त की।
टेली लॉ के माध्यम से शामिल प्रकरण
– दहेज, पारिवारिक विवाद, तलाक, घरेलू हिंसा से बचाव, महिला, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन यौन दुव्र्यवहार, छेड़छाड़ पर।
– जमीन जायदाद व सम्पत्ति का अधिकार, महिला एवं पुरुषों के लिए समान मजदूरी, मातृत्व लाभ, भ्रू हत्या रोकथाम, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल मजदूरी, बच्चों के शिक्षा के अधिकार।
– गिरफ्तारी (गिरफ्तारी के बाद की प्रक्रिया, बिना वारंट गिरफ्तारी, जोर जबरदस्ती से गिरफ्तारी, महिला से पूछताछ, पुलिस हिरासत में यातना, एफआइआर प्रक्रिया, जमानती, गैर जमानती अपराध।
– जमानती प्रक्रिया, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के प्रति अत्याचार और पुन्निरवास पर।
इनको मिल रहा लाभ
– महिलाएं
– बच्चे
– अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के सदस्य
– औद्योगिक कामगार, श्रमिक, मजदूर
– जातीय हिंसा से पीडि़त।
– प्राकृतिक आपदा से पीडि़ता जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा।
– दिव्यांग व्यक्ति, मानसिक रूप से अस्वस्थ्य।
– गरीबी रेखा के नागरिक।
– ऐसे व्यक्ति जो अभिरक्षा में हैं।