आयुक्त ने फटकार के बाद मिली गुमी फाइल
बता दें कि इस मामले में आरटीआइ लगाकर दुकानों के संबंध में दस्तावेज जुटाने प्रयास किया गया तो फाइल गुम जाने की बात कहकर जानकारी नहीं दी गई। मामला आयोग के पास पहुंचा तो आयोग ने फाइल गुमने के मामले में जांच कराने, दोषियों पर नामजद एफआइआर कराने कहा। 27 अगस्त को कार्रवाई कराने की भी जानकारी भेजी गई। इसमें बताया गया कि दोषी कर्मचारी राजकुमार सोनी को निलंबित किया गया है और 155 में एफआइआर कराई है, जो सही नहीं थी। वह भी कुछ ही दिनों में बहाल कर दिया गया। जब फिर इसकी शिकायत हुई तो आयोग ने नगर निगम आयुक्त सत्येंद्र धाकरे को शपथ पत्र में की गई जांच, नामजद 154 के तहत एफआइआर कराकर जानकारी से अवगत कराने सख्त निर्देश दिए हैं।
इन्होंने किया है अतिक्रमण
बता दें कि झंडाबाजार में चार लोगों द्वारा करोड़ों रुपये कीमती जमीन में अतिक्रमण किया गया है। इसमें परमानंद वल्द सच्चानंद दुकान क्रमांक 104 से लगी भूमि पर 33 वर्गफीट में, अर्जुनदास वल्द ज्ञानचंद दुकान क्रमांक 105 54 वर्गफीट, ज्ञानचंद वल्द गोदाराम दुकान क्रमांक 95 से लगी भूमि में 27 वर्गफीट, नारायण वल्द सच्चानंद दुकान क्रमांक 95/1 से लगी हुई भूमि पर 27 वर्गफीट अतिक्रमण कर पक्का निर्माण कराते हुए वर्षों से कारोबार किया जा रहा है।
नोटिस तक सीमित रही कार्रवाई
इस गंभीर मामले में 2013 में जांच के बाद अतिक्रमण पाया गया। अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम द्वारा नोटिस जारी किया गया। अनुज्ञा शाखा से पत्र क्रमांक 4123 में थाना प्रभारी कटनी को पत्र भी लिखा गया था कि 15 नवंबर 2013 को कार्रवाई होना है, बल मुहैया कराया जाए, लेकिन न तो निगम का अमला पहुंचा और ना ही आजतक कोई कार्रवाई हुई।
इनका कहना है
यह गंभीर मामला मेरे संज्ञान में आया है। शीघ्र ही इसकी जांच शुरू कराई जाएगी। इसमें आयोग द्वारा मांगी गई रिपोर्ट को भी पुटअप किया गया गया है। दोषियों पर कार्रवाई के संबंध में भी अवगत कराया गया है। इस मामले में सूक्ष्मता से जांच कराई जाएगी। इसके अलावा नगर निगम की अन्य जितनी दुकानें है उनकी जांच, भैतिक सत्यापन कराया जाएगा।
सत्येंद्र सिंह धाकरे, आयुक्त नगर निगम।