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कटनी

नर्स बोली- इंजेक्शन नहीं है, जाओ झाड़-फूंक करवा लो, दवा के बिना मां की गोद में तड़प-तड़प कर मर गया मासूम

रैबीज का इंजेक्शन नहीं लगने के कारण हुई मौत।

कटनीJun 08, 2020 / 10:33 am

Pawan Tiwari

नर्स बोली- इंजेक्शन नहीं है, जाओ झाड़-फूंक करवा लो, दवा के बिना मां की गोद में तड़प-तड़प कर मर गया मासूम

नर्स बोली- इंजेक्शन नहीं है, जाओ झाड़-फूंक करवा लो, दवा के बिना मां की गोद में तड़प-तड़प कर मर गया मासूम

कटनी. मध्यप्रदेश के कटनी जिले में एक दर्दनाक वाक्या सामने आया है। लॉकडाउन में फंसी एक गरीब मां अपने इकलौते जिगर के टुकड़े की जिंदगी को बचाने की जंग हार गई। रैबीज इंजेक्शन का इंतजाम न कर पाने की वजह से पांच साल के बेटे ने दम तोड़ दिया। अब बेटे की मौत से मां सदमे में है और अपनी गरीबी और बदनसीबी को कोस रही।
दरअसल, एनकेजे प्रेम नगर निवासी मां ज्योति मुखर्जी ने बताया कि करीब डेढ माह पहले उसके पांच साल के बेटे को कुत्ते ने काट लिया था। इस बीच उसने इंजेक्शन का एक डोज तो लगवा लिया, दूसरा डोज लगवाने जब बेटे को लेकर सरकारी अस्पताल गई तो डॉक्टरों ने चार दिन चक्कर लगवाया। पांचवे दिन कहा कि इंजेक्शन नहीं है। लॉक डाउन की वजह से ऑटो घर पर खड़ी थी। पैसे की भी कड़की थी। दारोगा जी से राशन की मदद मांगती थी, जिससे किसी तरह से पेट पल रहा था।
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नर्स ने कहा- झाड़-फूंक करा लो
इस बीच बेटे की तबियत खराब हो गई। तीन दिन पहले इलाज के लिए अस्पताल गई लेकिन डॉक्टरों ने मना कर दिया। डॉक्टरों ने कहा कि इसे विक्टोरिया अस्पताल जबलपुर ले जाओ। मां जब अपने बेटे को लेकर विक्टोरिया अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने उसे देखना तक उचित नहीं समझा। पिता डॉक्टरों के पैर पकड़कर बेटे की जिंदगी बचाने गिड़गिड़ाते रहे, तब जाकर भर्ती किया। करीब एक घंटा भर्ती रहने के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। इस दौरान एक नर्स ने बच्चे की मां से कहा सिहोरा में कोई झांड़-फूंक करता है, वहां लेकर चली जाओ।
रास्ते में हो गई मौत
नर्स की सलाह पर माता-पिता बच्चे के इलाज के लिए सिहोरा लेकर जाने लगे। लेकिन रास्ते में ही बेटे ने दम तोड़ दिया। अब बदनसीब मां अपने बेटे की याद में रो रही है और अपनी गरीबी और सरकार द्वारा बेहतर इंतजाम नहीं करने को अपने बेटे की मौत का दोषी बता रही है।

साढ़े 4 माह से नहीं जिले में कुत्ता काटने का इंजेक्शन
जिले में साढ़े 4 माह से रैबीज का इंजेक्शन नहीं है। कुत्ता काटने का इंजेक्शन लगवाने जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। सरकार ने सालभर से रैबीज इंजेक्शन की खरीदी ही नहीं की। अस्पतालों में रखा पुराना स्टाक भी खत्म हो गया। सरकार की इस बदइंतजामी का खामियाजा अब गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है। जिले के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मानें तो साढ़े माह से सरकार ने इंजेक्शन खरीदे ही नहीं। सरकार व दवा कंपनियों के बीच रेट कांट्रेक्ट ही नहीं हो पाए।

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