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कटनी

इस रोग ने किसानों की बढ़ाई गंभीर समस्या, फसल बचाने चुनौती

बहोरीबंद क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों में समस्या, कृषि विभाग नहीं दे रहा ध्यान, किसानों को सता रही भारी नुकसान की आशंका, खराब हो रही बालीबीज उपचार न करने के कारण बताई जा रही समस्या, किसान कर रहे लगातार शिकायत

कटनीOct 12, 2020 / 09:01 am

balmeek pandey

इस रोग ने किसानों की बढ़ाई गंभीर समस्या, फसल बचाने गंभीर चुनौती

इस रोग ने किसानों की बढ़ाई गंभीर समस्या, फसल बचाने गंभीर चुनौती

कटनी/बाकल. बहोरीबंद-बाकल क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांव में किसानों के सामने गंभीर समस्या निर्मित हो गई है। धान की फसल में कंडवा रोग लग गया है, जिससे अन्नदाता हैरान-परेशान है। पठार क्षेत्र के ग्राम बाकल, चंनपुरा, बासन, रामपाटन, रामनगर, कूड़ा, पटीराजा, इमलिया, पटोरी, मझगवां, खुर्सी, मंगेला आदि गांव में लगी धान की फसल में कंडवा रोग का अटैक करना बताया जा रहा है। बाकल क्षेत्र निवासी किसान गोविंद चौधरी, जालिम पटेल, रवि शंकर पटेल, राजेंद्र पटेल, उस्मान खान, रामस्वरूप पटेल, बालकिशन पटेल, अनार सिंह पटेल, सुखदेव पटेल आदि का कहना है कि जब धान में जब दाना भरने की स्थिति है और फसल तैयार होने को हे तो इसका प्रकोप बढ़ रहा है। ऐसा लग रहा है कि धान की फसल में रोगों का प्रकोप पैदावार को पूरी तरह से प्रभावित कर देगा। फफूद जनित यह रोग किसानों के लिए इस साल फिर चुनौती बन गया है। कृषि विभाग द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
बताया जा रहा है कि इसका प्राथमिक संक्रमण बीज से होता है, इसलिए धान की खेती में बीज शोधन करना अति आवश्यक होता है। मौसम परिवर्तन व वायु जनित बीजाणु द्वारा भी यह रोग होता है। किसानों ने बताया कि धान की बालियों के दाने की जगह पीले रंग का बाल बन जाता है। इसके बाद यह काले रंग का हो जाता है। इसको कई किसान हल्दिया रोग भी कहते हैं। यह रोग धान की 60 से 90 प्रतिशत फसल को प्रभावित कर सकता है। अगर तापमान अधिक हो और हवा में आद्र्रता अधिक हो, तो यह रोग तैजी से फैलने लगता है।

हो रही यह समस्या
पटोरी निवासी किसान अनार सिंह, राजेंद्र पटेल आदि ने बताया कि धान की फसल में कंडवा रोग इस समय अपना पैर पसार रहा है। धान की बालियां सूखकर नष्ट होने लगी हैं। यदि यह रोग ज्यादा फैला तो सैकड़ों किसान तबाह हो जाएंगे। रसायनों का स्प्रे कर फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है, लेकिन अभी तक क्या उपयोग करना है किसानों को यह भी जानकारी नहीं है। कूड़ा निवासी सुखदेव पटेल, मंगेला निवासी किसान बालकिशन पटेल ने बताया कि कमर तोड़ मेहनत के बाद धान की फसल तैयार होने के बाद अचानक पकने की अवस्था पर बर्बादी के कगार पर पहुंच रही है। क्षेत्र में पिछले वर्ष दवाई छोडऩे के बाद भी फसल को बचाया नहीं जा सका। कई किसान बाजार से दवा लाकर स्प्रे भी कर रहे हैं।

इनका कहना है
किसान बीज उपचार किए बगैर ही फसल लगा रहे हैं। फंगस बीज या मिट्टी के साथ रहता है। बीज उपचार से फंगस खत्म हो जाता है, जिससे रोग नहीं लगता। किसान इस पर ध्यान नहीं देते। तत्काल इसका सर्वे कराया जाएगा और रोग नियंत्रण के दवा छिड़काव की सलाह दी जाएगी।
एके राठौर, उप संचालक कृषि।

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