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उम्र के बड़े व्यक्ति से पिता रचा रहा था नाबालिग बेटी का ब्याह, कारण जानकार चौक गए लोग

दमोह में हो रहा था बाल विवाह, इस जिले की टीम ने मिनटो में रुकवाई शादी, जानिये कैसे, कटनी समिति की पहल पर दमोह में रुका बाल विवाह, 14 वर्षीय बालिका परिजन कर रहे थे ब्याह, जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने दिखाई तत्परता

कटनीDec 15, 2018 / 12:05 pm

balmeek pandey

sundar dulhan pane ka upay

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कटनी. तमाम जागरुकता अभियान के बाद भी बालविवाह नहीं थम रहे हैं। शादी की बालिकाओं के लिए उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल तय है, लेकिन इस उम्र से पहले ही शादियां हो जाती हैं। अभी हाल में विजयराघवगढ़ थाना क्षेत्र में एक मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। दकियानूसी रिवाजों से घिरे अनपढ़ परिवार कम उम्र के करीब बच्चों को विवाह के बंधन में बांध रहे हैं। ऐसा ही एक मामला दमोह जिले में सामने आया है। जहां पर जिले की चाइल्ड लाइन को सूचना प्राप्त हुई की दमोह में बाल विवाह हो रहा है। सूचना पर तत्काल टीम सक्रिय हुई और दमोह की बाल संरक्षण टीम के साथ पहल कर बाल विवाह को रुकवाया गया। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ने बताया कि 14 दिसंबर को सुबह 8 बजे कॉलर ने जानकारी दी कि दमोह जिले के अंतर्गत एक 14 वर्षीय बालिका का बाल विवाह कराया जा रहा है। पिता पैसे लेकर किसी बड़े उम्र के व्यक्ति से शादी करवा रहा है। टीम मेंबर ने कॉलर से सभी जानकारी लेकर, आयु प्रमाण के लिए कहा। स्थानीय ग्राम की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को जानकारी देकर आयु प्रमाण लिया गया। समन्वयक द्वारा बाल कल्याण समिति कटनी व दमोह राकेश अग्रवाल को सूचित किया गया। उनके निर्देश पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी दमोह को सूचित किया गया।

टीम ने की काउंसलिंग
11 बजे तक परिवीक्षा अधिकारी, आंगनवाड़ी सुपरवाइजर, संरक्षण अधिकारी एवं स्थानीय पुलिस के साथ उक्त ग्राम बालिका के घर गए और परिवार को समझाइश देकर विवाह न करने की समझाइश दी। पंचनामा बना कर शादी को रोक दिया गया। दमोह में बाल कल्याण समिति का कार्यकाल 6 माह पूर्व समाप्त हो गया है। ऐसी परिस्थिति में कटनी बाल कल्याण समिति दमोह जिले के चार्ज में है। इसके चलते टीम ने तत्परता दिखाई और बाल विवाह को रुकवाया।

अनपढ़ परिवारों में रिवाज कायम
खेलने-कूदने के उम्र में बच्चों को विवाह बंधन में बांध दिया जा रहा है। इसकी मुख्य वजह शिक्षा में कमी भी है। यहां तक कि पढ़े लिखे समाज में भी 15 साल की बेटी को बड़ा माना जा रहा है और उसकी शादी की तैयारी हो जाती है। सोलह और सत्र साल की उम्र में शादी करने को तो बाल विवाह माना ही नहीं जा रहा है। बाल विवाह के नाम पर दस से बारह साल की उम्र की शादी पर ही ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। दुल्हन की उम्र पंद्रह साल होने पर कोई शिकायत भी नहीं कर रहा है। इस कारण से बाल विवाह के मामले सामने आते हैं। ऐसे में जरुरी है हर विवाह आयोजन में ऐसे एक दो परिवारों के बारे में पूर्व में पता करें। आयोजन से पहले ही उनसे समझाइश कर शादी को व्यस्क होने पर ही संपन्न करवाने की बात की जाए। समाज में इसके उदाहरण दिए जाएं। इससे मानसिकता बदलेगी।

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