टीम ने की काउंसलिंग
11 बजे तक परिवीक्षा अधिकारी, आंगनवाड़ी सुपरवाइजर, संरक्षण अधिकारी एवं स्थानीय पुलिस के साथ उक्त ग्राम बालिका के घर गए और परिवार को समझाइश देकर विवाह न करने की समझाइश दी। पंचनामा बना कर शादी को रोक दिया गया। दमोह में बाल कल्याण समिति का कार्यकाल 6 माह पूर्व समाप्त हो गया है। ऐसी परिस्थिति में कटनी बाल कल्याण समिति दमोह जिले के चार्ज में है। इसके चलते टीम ने तत्परता दिखाई और बाल विवाह को रुकवाया।
अनपढ़ परिवारों में रिवाज कायम
खेलने-कूदने के उम्र में बच्चों को विवाह बंधन में बांध दिया जा रहा है। इसकी मुख्य वजह शिक्षा में कमी भी है। यहां तक कि पढ़े लिखे समाज में भी 15 साल की बेटी को बड़ा माना जा रहा है और उसकी शादी की तैयारी हो जाती है। सोलह और सत्र साल की उम्र में शादी करने को तो बाल विवाह माना ही नहीं जा रहा है। बाल विवाह के नाम पर दस से बारह साल की उम्र की शादी पर ही ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। दुल्हन की उम्र पंद्रह साल होने पर कोई शिकायत भी नहीं कर रहा है। इस कारण से बाल विवाह के मामले सामने आते हैं। ऐसे में जरुरी है हर विवाह आयोजन में ऐसे एक दो परिवारों के बारे में पूर्व में पता करें। आयोजन से पहले ही उनसे समझाइश कर शादी को व्यस्क होने पर ही संपन्न करवाने की बात की जाए। समाज में इसके उदाहरण दिए जाएं। इससे मानसिकता बदलेगी।