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राष्ट्रीय कृषि बाजार से जुड़ी कटनी मंडी, हजारों अन्नदाता को मिलेगा सीधा मुनाफा, जानिये कैसे

इ-नाम योजना के तहत हुई पहल

कटनीJan 27, 2019 / 05:16 pm

balmeek pandey

kisan

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कटनी. किसानों को वाजिब दाम दिलाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना शुरू की है। इसी के तहत प्रदेश में राजस्व के मामले में नंबर वन की कृषि उपज मंडी पहरुआ अब अंतर राज्यीय बाजार से जुड़ गई है। इसके लिए हाल ही में तीन राज्यों की एक संयुक्त मीटिंग हुई है। जिसमें योजना के तहत किसानों को जोडऩे के लिए ज्वाइंट सिकेट्री भारत सरकार, यूपी, राजस्थान मंडी बोर्ड के डायरेक्टर, एमडी सहित कई जिलों के मंडी सचिव शामिल रहे। सबसे पहले यूपी, राजस्थान और मध्यप्रदेश को सीधे व्यापार के लिए जोड़ा जा रहा है। यह पहल इ-नाम योजना के तहत की जा रही है। इसके तहत प्रदेश की 58 मंडिया शामिल हुई हैं, जिसमें कटनी को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। मंडी के राष्ट्रीय बाजार से जुडऩे के बाद किसानों को उपज का सही दाम मिल सकेगा। वहीं किसान अपनी उपज को देश के किसी भी बाजार में बेंच सकेंगे। किसान जब स्थानीय स्तर पर अपने उत्पाद बेचने के लिए मंडी में लाएंगे तो उन्हें स्थानीय व्यापारियों के साथ-साथ इंटरनेट के माध्यम से देश के अन्य राज्यों में स्थित व्यापारियों को भी अपने माल बेचने का विकल्प मिलेगा। वहीं बिचौलियों और व्यापारियों की मनमानी पर रोक लगेगी। कई बार व्यापारी किसानों की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर फसलों को कम दाम पर खरीद लेते हैं। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।

ऐसे होगा किसानों को फायदा
अंतर राज्यीय कृषि बाजार से जुडऩे के बाद किसान अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन कराकर मंडी में लाएगा, जहां उसकी उपज की जांच कर मानक के अनुसार क्वालिटी देखकर ग्रेड तय करेंगे। इसकी पूरी जानकारी और नीलामी वेबसाइट पर डाल दी जाएगी। इससे विभिन्न राज्यों के लाइसेंसधारी व्यापारी अपने-अपने रेट लगाएंगे। मंडी कर्मचारी अधिकतम रेट संबंधित किसान को बताकर उससे सहमति प्राप्त करेगा। किसान की सहमति होने पर उपज बेच दी जाएगी। उपज का भुगतान और मंडी शुल्क मंडी समिति के खाते में तत्काल ही ऑनलाइन डाल दिया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों में स्थित कृषि उपज मंडी को इन्टरनेट के माध्यम से जोड़कर एकीकृत राष्ट्रीय कृषि उपज बाजार बनाना है। इसका सीधा लाभ किसानों, व्यापारियों और ग्राहकों को मिलेगा।

इस समस्या से मिलेगी मुक्ति
फसलों के आने के बाद ही मंडियों में व्यापारियों और मंडी अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। व्यापारी आवक बढ़ते ही उपज के दाम कम कर देते हैं। किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलना हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहा है। स्थानीय व्यापारियों को अपने ही प्रदेश के अन्य भागों में तथा अन्य राज्यों में कृषि उत्पाद बेचने का मौके मिलेगा। थोक व्यापारियों को धान, गेहूं, दलहन सहित अन्य फसल सीधे कृषि बाजार के माध्यमों से दूर स्थित मंडी से कृषि उत्पाद खरीदने का मौका मिलेगा। ग्राहकों को कृषि उपज आसानी से उपलब्ध होगा एवं मूल्य भी स्थिर रहेगा। बड़े पैमाने पर खरीदारी होने से गुणवत्ता तथा उत्पाद खराब होने का अनुपात भी कम होगा।

इनका कहना है
कटनी मंडी अंतर राज्यीय व्यापार से जुड़ चुकी है। सबसे पहले यूपी और राजस्थान से सीधे व्यापार कनेक्ट किया जा रहा है। इसको लेकर भारत सरकार के ज्वाइंट सिकेट्री और कई प्रदेशों के मंडी बोर्ड के डायरेक्टर व मंडी सचिवों की बैठक हुई है। इ-नाम योजना के तहत किसानों को सीधे मुनाफा मिलेगा।
पीयूष शर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी, कटनी।

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