सेंड स्टोन पर कारीगरी का काम करने वाले राजू खरे बताते हैं कि यहां के सेंड स्टोन को घरों में फर्श, छत व दीवारों में उपयोग होता है। सबसे अधिक मांग इन दिनों घरों, गार्डन को खूबसूरत बनाने के लिए आर्च, जालियां, स्टैचू, मंदिर, पिलर, आदि तैयार करने में है। जिले की खदानों में तीन रंग का सेंड स्टोन पाया जाता है। जिसमें लाल, हरा और पीला रंग शामिल है और इनके माध्यम से ही शिल्पकला के कारीगर देशभर में लोगों को अपनी कला से प्रभावित कर रहे हैं।
जिला खनिज अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि कई बड़े शहरों में शिल्पकला के लिए कटनी के पत्थर की मांग है। जिले को इन खदानों से हर साल 10 लाख रूपये से अधिक का राजस्व मिलता है। शिल्पकारों ने अपनी कला को जिले में निकलने वाले पत्थरों पर ही उकेरा और आज वे ऐतिहासिक कलाकृतियां हमारे पास धरोहर के रूप में मौजूद हैं।
खास-खास
– रीठी तहसील में घनिया व डांग ग्राम पंचायत के क्षेत्र में बड़े स्तर पर सेंड स्टोन की खदानें हैं। वर्तमान में चार बड़ी खदानों की स्वीकृति खनिज विभाग से है। रीठी की खदानों से निकलने वाले सेंड स्टोन की कटनी सहित अन्य शहरों में डिमांड है।
– सेंड स्टोन की खासियत बताने जागृति पार्क में 9 से 28 नवंबर तक स्टोन आर्ट फेस्टिवल ”आधारशिला” का आयोजन किया जाएगा। इसमें देशभर के शिल्पकार पहुंचेंगे और सेंड स्टोन, मार्बल पर कलाकृतियां उकेरेंगे। उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगेगी और बेहतर कलाकृति पुरस्कृत भी होगी।