बतादें कि जिला न्यायालय के समीप केडीए द्वारा 35 सौ से ज्यादा आवासीय और व्यावसायिक प्लॉट देने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए दस साल तक चली कवायद के बाद कुछ दिन पहले अचानक योजना बंद करने के निर्णण लिया गया। झिंझरी आवासीय योजना में लेटलतीफी पर पहले भी केडीए के अफसरों पर निजी बिल्डर के इशारे पर योजना में विलंब करने के आरोप लगते रहे हैं।
केडीए के अफसर योजना का मूर्तरूप नहीं लेने को लेकर कह रहे हैं कि नगर निगम में बतौर विकास अनुज्ञा नौ करोड़ रूपये जमा करने का इंतजाम नहीं होने के कारण विलंब हुआ। वहीं शहर के नागरिकों का कहना है कि इसके लिए जनप्रतिनिधियों को शासन स्तर से प्रयास कर अनुदान की व्यवस्था करनी चाहिए थी, जिससे लोगों को सस्ती कीमत में प्लॉट मिलती।
कटनी शहर विधायक संदीप जायसवाल बताते हैं कि योजना बंद करने की जानकारी मिली है। कुछ अमाउंट नगर निगम में जमा करना पड़ रहा था। योजना बंद नहीं हो इसके लिए रास्ता निकाला जाएगा। कलेक्टर से बात करेंगे।