कैसे पकड़े जाएं डकैत, लुटेरे व चोर जब इस बड़े जंक्शन में जारी है इतनी बड़ी बेपरवाही…
ऐसे होता है फायलेरिया
जिला मलेरिया अधिकारी शालिनी नामदेव ने बताया कि फायलेरिया कृमि जन्य रोग है। बाउचेरिया ब्रॉन क्राफ्टाई निमिटोड कृमि है जो बाहर मच्छर क्यूलेक्स के माध्यम से माईक्रो फायलेरिया पॉजिटिव बीमारी पैदा करता है। संक्रमति मच्छर के काटने से 9 माह से लेकर 10 माह तक कृमि संबंधित को इफैक्ट करता है। इस पर 12 दिन डीईसी गोली का मौलिक उपचार देकर एमएफ खत्म किया जाता है। जिस मरीज को हाइड्रोसिल की बीमारी है उसमें भी इसके लक्षण संभावित होते हैं। इसमें तेज बुखार, हाथ-पैर में सूजन, शरीर में लाल दाग, सूजन में गड्ढे पडऩा लक्षण होते हैं।
यह बरतें सावधानी
– गंदगी से करें बचाव
– मच्छरों से रहें दूर
– डीईसी का करें सेवन
– एल्वेंड्राजोल लें दवा
– शिकायत पर चिकित्सक से संपर्क।
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वार्ड दारोगा को बताए वाहक जनित रोग से बचने के तरीके
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसके निगम के निर्देशानुसार मंगलवार को राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत अंतर विभागीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में नगर निगम के अधिकारियों एवं वार्ड दरोगा को डेंगू, चिकनगुनिया, फायलेरिया, जीका बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उक्त जानकारी शालिनी नामदेव जिला मलेरिया अधिकारी के द्वारा दी गई। कार्यशाला में आयुक्त आरपी सिंह, संध्या सैय्यमा डिप्टी कमिश्नर, पीके महार मलेरिया निरीक्षक, संजय चौदाहा, तेजभान, सलीम, कल्लू आदि उपस्थित रहे।