सरकारी स्कूलों में दर्ज छात्र कक्षा पहली से 8वीं तक अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई करें। इसके लिए प्रदेश सरकार ने हर जिले में कक्षा 1वीं से 8वीं तक के लिए स्कूलें खोली। जिले में साल 2015 में प्राइमरी व मिडिल की 11 स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम का बनाया। इसमें से 6 स्कूलों में किसी न किसी तरह से पढ़ाने के लिए एकात शिक्षक मिल गए, लेकिन 5 स्कूलों के लिए शिक्षक नहीं मिले। इस शिक्षण सत्र में इंग्लिस मीडियम की खुली 11 स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति के लिए जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा आवेदन मंगाए गए। विभाग को 10 आवेदन प्राप्त हुए। इसमें प्राथमिक शाला तेवरी, प्राथमिक शाला जुहली व प्राथमिक शाला मझगवां के लिए क्रमश: 2-2व 1मास्टर की तैनाती कर दी गई। दो आवेदन बड़ारी स्कूल के लिए भी आए, लेकिन शिक्षकों की कमीं के चलते इस स्कूल को हिंदी मीडिय़म कर दिया गया। ऐसे में इन दो शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जो तीन आवेदन बचे हुए वे पढ़ाने की पात्रता नहीं रखते है।
नहीं जाना चाहते दूर
जिले की पांच सरकारी इंग्लिस मीडियम स्कूलों में शिक्षकों के आवेदन करने का एक कारण और भी सामने आया है। जानकारी के अनुसार इन पांचों स्कूलों की दूरी बहुत अधिक है। ऐसे में जिले से कोई भी सहायक अध्यापक, अध्यापक व शिक्षक इन स्कूलों में जाने को तैयार नहीं है। शिक्षक नहीं मिलने के कारण विभाग अब इन स्कूलों को अंग्रेजी की बजाय फिर से हिंदी मीडियम बनाने की योजना बना रहा है।
इन स्कूलों में पढ़ाने को तैयार नहीं सहायक अध्यापक, अध्यापक व शिक्षक
-शासकीय प्राथमिक शाला निर्टरा।
-शासकीय माध्यमिक शाला देवरी।
-शासकीय माध्यमिक शाला विजयराघवगढ़।
-शासकीय माध्यमिक शाला भरतपुर।
इनका कहना है:
अंग्रेजी मीडियम की स्कूलों में शिक्षकों की कमीं को पूरा करने के लिए आवेदन मंगाए गए थे। पात्रता रखने वाले शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। जिन स्कूलों में नहीं हो पाए हैं, उनके लिए फिर से आवेदन मंगाए जाएंगे।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर।