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कटनी

बच्चों की सेहत संवारने बड़ी बेपरवाही: ‘दूध’ के लिए सवा माह से तरस रहे 70 हजार ‘नौनिहाल’

– बच्चों का मन पढ़ाई में लगे, अभिभावक भी निश्चिंत होकर बच्चों को स्कूल भेजें इसके लिए स्कूलों में सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन जैसी योजना शुरू की गई है। बच्चों की सेहत तंदुरुस्त रहे इसके लिए सप्ताह में तीन दिन पौष्टिक फ्लेवर वाले दूध पाउटर वितरण करने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
– आपको जानकर ताज्जुब होगा कि जबसे शैक्षणिक सत्र 2019-20 प्रारंभ हुआ है तबसे लेकर अबतक जिले में बच्चों को दूध का वितरण नहीं किया जा रहा।
– पिछले लगभग सवा माह से जिले में 1296 प्राथमिक स्कूलों में पढऩे वाले 70 हजार बच्चे दूध के लिए तरस रहे हैं।

कटनीJul 31, 2019 / 11:45 am

balmeek pandey

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Milk delivery not in Katni district schools

कटनी. बच्चों का मन पढ़ाई में लगे, अभिभावक भी निश्चिंत होकर बच्चों को स्कूल भेजें इसके लिए स्कूलों में सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन जैसी योजना शुरू की गई है। बच्चों की सेहत तंदुरुस्त रहे इसके लिए सप्ताह में तीन दिन पौष्टिक फ्लेवर वाले दूध पाउटर वितरण करने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि जबसे शैक्षणिक सत्र 2019-20 प्रारंभ हुआ है तबसे लेकर अबतक जिले में बच्चों को दूध का वितरण नहीं किया जा रहा। पिछले लगभग सवा माह से जिले में 1296 प्राथमिक स्कूलों में पढऩे वाले 70 हजार बच्चे दूध के लिए तरस रहे हैं। इसको लेकर न तो जिला शिक्षा अधिकारी को परवाह है और ना ही प्रभारी अधिकारियों को चिंता। नाम न छापने की शर्त पर शहर के एक स्कूल के शिक्षक ने बताया कि जून माह से ही स्कूलों में दूध का वितरण नहीं हो रहा। जब दूध का घोल गर्म पानी में तैयार किया गया तो उसका फ्लेवर ठीक से नहीं बन रहा था। स्वाद में भी ठीक नहीं लग रहा था। यह सिर्फ एक स्कूल नहीं बल्कि कई स्कूलों में हुआ। लगातार शिकायतें मिलीं, इस संबंध में बीआरसी को सूचना दी गई। इसके बाद पूरे स्टॉक को वापस कर दिया गया है। अभी तक नया स्टॉक नहीं आया, बच्चों को अब सिर्फ मध्यान्ह भोजन से ही संतुष्ट रहना पड़ रहा है।

मॉनीटरिंग भी सवालों में
हैरानी की बात तो यह है कि स्कूलों में चल रही गतिविधियों शिक्षा, बच्चों की सुरक्षा, मध्यान्ह भोजन आदि के लिए नियमित रूप से मॉनीटरिंग की जाती है। डीइओ, डीपीसी, बीआरसी, बीइओ, संकुल प्रभारी सहित जनशिक्षकों पर मॉनीटरिंग का जिम्मा है, लेकिन चौकाने वाली बात तो यह है कि डीइओ और डीपीसी इस बात से पूरी तरह अनजान है कि स्कूलों में दूध बंट भी रहा है कि नहीं।

इनका कहना है
दूध का वितरण प्राथमिक स्कूलों में हो रहा है कि नहीं अभी इसकी जानकारी नहीं हैं। प्राथमिक स्कूलों के प्रभारी डीपीसी बीबी दुबे ही इस संबंध में जानकारी दे सकते हैं।
आरएस पटेल, उपसंचालक व प्रभारी डीइओ।

मेरे पास 18 जुलाई से ही डीपीसी का प्रभार है। बच्चों को दूध क्यों नहीं बट रहा न तो इसकी जानकारी है और ना ही यह जानकारी है कि फ्लेवर खराब होने के कारण स्टॉक वापस भेज दिया गया है, फिर भी पता लगवाते हैं।
बीबी दुबे, प्रभारी डीपीसी।

दूध का एक लॉट आया है। पैकेटों में शिकायत मिली है। क्वालिटी अच्छी नहीं थी। पैकेट वापस ले लिए गए हैं। दूध के घोल बनाने के बाद उसमें एक्स्ट्रा झाग व लेयर बन रही थी। सुगंध तीखी थी। इसके बाद उसे वापस भेज दिया गया है। इसके लिए डिमांड भेजी गई है, जैसे ही स्टॉक आता है, फिर से वितरण शुरू कराएंगे।
विवेक दुबे, बीआरसी, कटनी।

दूध का घोल बनाने में लार बन रही थी। यह बच्चों के लिए नुकसानदायक होता। इसलिए उसके वितरण पर रोक लगा दी गई। वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई। इसके बाद स्टॉक वापस कर दिया गया है।
निीत गौतम, बीआरसी, रीठी।

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