मॉनीटरिंग भी सवालों में
हैरानी की बात तो यह है कि स्कूलों में चल रही गतिविधियों शिक्षा, बच्चों की सुरक्षा, मध्यान्ह भोजन आदि के लिए नियमित रूप से मॉनीटरिंग की जाती है। डीइओ, डीपीसी, बीआरसी, बीइओ, संकुल प्रभारी सहित जनशिक्षकों पर मॉनीटरिंग का जिम्मा है, लेकिन चौकाने वाली बात तो यह है कि डीइओ और डीपीसी इस बात से पूरी तरह अनजान है कि स्कूलों में दूध बंट भी रहा है कि नहीं।
इनका कहना है
दूध का वितरण प्राथमिक स्कूलों में हो रहा है कि नहीं अभी इसकी जानकारी नहीं हैं। प्राथमिक स्कूलों के प्रभारी डीपीसी बीबी दुबे ही इस संबंध में जानकारी दे सकते हैं।
आरएस पटेल, उपसंचालक व प्रभारी डीइओ।
मेरे पास 18 जुलाई से ही डीपीसी का प्रभार है। बच्चों को दूध क्यों नहीं बट रहा न तो इसकी जानकारी है और ना ही यह जानकारी है कि फ्लेवर खराब होने के कारण स्टॉक वापस भेज दिया गया है, फिर भी पता लगवाते हैं।
बीबी दुबे, प्रभारी डीपीसी।
दूध का एक लॉट आया है। पैकेटों में शिकायत मिली है। क्वालिटी अच्छी नहीं थी। पैकेट वापस ले लिए गए हैं। दूध के घोल बनाने के बाद उसमें एक्स्ट्रा झाग व लेयर बन रही थी। सुगंध तीखी थी। इसके बाद उसे वापस भेज दिया गया है। इसके लिए डिमांड भेजी गई है, जैसे ही स्टॉक आता है, फिर से वितरण शुरू कराएंगे।
विवेक दुबे, बीआरसी, कटनी।
दूध का घोल बनाने में लार बन रही थी। यह बच्चों के लिए नुकसानदायक होता। इसलिए उसके वितरण पर रोक लगा दी गई। वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई। इसके बाद स्टॉक वापस कर दिया गया है।
निीत गौतम, बीआरसी, रीठी।