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जानिए प्रदेश में 1901 से 1940 के बीच 6 से 8 दिन पहले सक्रिय हो जाता था मानसून, अब 1961 से 7 दिन देरी से पहुंच रहा क्यो

-1901 से 40 तक 6-8 दिन पहले सक्रिय हो जाता था मानसून, प्रदूषण बढ़ा तो 1961 से 7 दिन देरी से पहुंच रहा
-देरी से सक्रिय होने की वजह से विदाई भी हो रही 5 से 8 दिन बाद, लॉक डाउन की वजह से पर्यावरण प्रदूषण में आई कमी, इस साल बेहतर बारिश के आसार
 

कटनीJun 01, 2020 / 10:38 pm

dharmendra pandey

Monsoon

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कटनी. पर्यावरण में लगातार बढ़ते प्रदूषण व धीरे-धीरे घटती पेड़.पौधों की संख्या की वजह से प्रदेश में मानसून आने के समय में भी परिवर्तन आ गया। 1901 से 1940 के बीच के आंकड़ों की बात करें तो पहले यह मानसून 6 से 8 दिन पहले आ जाता था। इसका कारण यह था कि उस दौरान पर्यावरण में न तो इतना प्रदूषण था और ना ही पेड़.पौधों की कमी थी। 1940 के बाद से जैसे-जैसे कारखाने लगते गए। विकास के लिए पेड़-पौधों की बलि चढ़ती गई। उससे मानसून आने के समय में भी धीरे-धीरे बदलाव आ गया। 1960 से 2019 के बीच का आंकड़ा देखें तो इसमें 7 से 8 दिन की देरी हो गई। इनता ही नहीं मानसून की विदाई में भी बदलाव हुआ है। देरी से आने के बाद देरी से विदाई भी हो रही। हालांकि मानसून विभाग इस साल बेहतर बारिश होने का अनुमान लगा रहा। इसकी मुख्य वजह है लॉक डाउन की वजह से प्रदूषण का कम होना।

25 मई के बाद से शुरू हो जाती है प्री-मानसून गतिविधियां
जिले के मौसम विभाग के मुताबिक 25 मई के बाद से प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू हो जाती है। अरब सागर में कम दवाब का क्षेत्र बनना शुरू हो जाता है। यह एक जून को केरल पहुंच जाता है। प्रदेश में यह मानसून खंडवा के रास्ते पहुंचता है। वहीं बंगाल की खाड़ी से जो मानसून उठता है वह 12 जून को कोलकाता पहुंचाता है। फिर चार दिन बाद प्रदेश में प्रवेश करता है। मप्र के पूर्वी जिलों में यह पहले बारिश कराता है।

यह भी जानिए
-प्रदेश में दो जगहों से मानसून आता है। एक बंगाल की खाड़ी। दूसरा अरब सागर से।
.बंगाल की खाड़ी से जो मानसून आता है वह पूर्वी मध्यप्रदेश के अंतर्गत आने वाले जिलों में सक्रिय होता है। इसमें छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, सिवनी, बैतूल, नरसिंहपुर, बालाघाट, छत्तरपुर, पन्ना, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, शहडोल, मडंला, डिंडोरी, जबलुपर, दमोह, सागर, रीवा, सतना, कटनी, टीकमगढ़ व निमाड़ी शामिल हैं।
-अरब सागर में बने चक्रवात की वजह से आने वाला मानसून पश्चिमी मध्यप्रदेश के जिलों में सक्रिय होता है। इसमें भोपाल, इंदौर, उज्जैन, खंड़वा, खरगोन, बुरहानपुर सहित अन्य जिले हैं।
-1901.40 तक सबसे पहले मानसून सिवनी जिले में प्रवेश करता था लेकिन 1960 के बाद सबसे पहले खंडवा जिले में पहुंच रहा। सिवनी में यह दो दिन बाद 18 जून को पहुंचता है।

जानिए 1901 से लेकर 2019 तक मानसून पहुंचने की स्थिति
जिला 1901.1940 तक मानसून आने का समय मानसून विदाई का समय
भोपाल 13 जून 26 सितंबर।
छत्तरपुर 15 जून 30 सितंबर।
गुना 15 जून 18 सितंबर।
इंदौर 13 जून 23 सितंबर।
जबलपुर 13 जून 03 अक्टूबर।
खंडवा 10 जून 23 सितंबर।
नीमच 16 जून 17 सितंबर।
सागर 15 जून 30 सितंबर।
सतना 13 जून 05 सितंबर।
सिवनी 10 जून 03 अक्टूबर।
1961 से लेकर 2019 तक मानसून सक्रिय होने और विदाई का समय
भोपाल 20 जून 03 अक्टूबर।
छत्तरपुर 21 जून 03 अक्टूबर।
गुना 23 जून 01 अक्टूबर।
इंदौर 20 जून 03 अक्टूबर।
जबलपुर 19 जून 05 अक्टूबर।
खंडवा 16 जून 05 अक्टूबर।
नीमच 25 जून 26 सितंबर।
सागर 21 जून 04 अक्टूबर।
सतना 21 जून 05 सितंबर।
सिवनी 18 जून 06 अक्टूबर।

-जलवायु परिवर्तन की वजह से 1960 के बाद से मौसम प्रदेश में 7 से 8 दिन बाद सक्रिय हो रहा है। देरी से विदाई भी हो रही। इसकी मुख्य वजह यह है कि पहले पर्यावरण में इनता प्रदूषण नहीं होता था। जंगल भी काफी थे। समय के साथ मौसम में भी बदलाव आ गया। जिसके चलते ऐसा हो रहा है।
संदीप कुमार चंद्रवंशी, मौसम वैज्ञानिक कटनी।

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