VIDEO: भोपाल से पहुंचा जांच दल, निर्माणाधीन कटनी नदी पुल के टूटने की जांच में पाई ये बड़ी गलती
धमाके से सब हैरान, जांच में अनदेखी
जिसदिन पुल धसका था उसके पहले तेज धमका हुआ था। इस धमक को लोगों ने 200 मीटर दूर तक सुना है। बताया जा रहा है कि 22 जुलाई से केबिल खीचना शुरू किया है। 24 जुलाई को दो बजे तक तार खीचकर बराबर किया गया। इंजीनियरों का यह तर्क भी है कि यदि केबिल फेल होती, या पुल फेल होती है या क्रेक आता है तो सेंटर में समस्या आनी थी। धमाके की अवाज से पुल क्रैश हुआ, ब्लास्टिंग जैसी आवाज आई। कांक्रीट में जिलेटिन कैप नहीं थी, इससे धमको पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि जांच के दौरान अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। वहीं इस मामले में ठेकेदार रामसज्जन शुक्ला ने पुल धसकने के मामले में अन्य एक्सपर्ट एजेंसी से जांच कराने मांग की है।
शहर के नागरिकों को भारी नुकसान
पुल जर्जर घोषित है, जिला प्रशासन द्वारा घाट पर बकायदा सूचना पटल लगाया गया है, जिसमें लिखा है कि पुल जर्जर है। भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है। कभी भी पुल टूट सकता है और शहर दो हिस्सों में बट जाएगा। शहर का आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि 2008 से लेकर 2019 तक पुल नहीं बन पाया। जनता को अपना हिमायती बताने वाले जनप्रतिनिधि भी सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। अब पुल का निर्माण रुक गया है, बारिश के बाद भी आगे की कार्रवाई शुरू होगी।
इनका कहना है
पुल धसकने के मामले में विभागीय उच्च स्तर पर कार्रवाई हुई है। मुख्य अभियंता भोपाल द्वारा जांच की गई है। तकनीकी जांच और निर्णय के अनुसार आगे की कार्रवाई होगी। अब आगे इस तरह की घटना की पुनर्रावृत्ति न हो। जल्दी ठोस पुल बने और लोगों को राहत मिले इस दिशा में पहल की जाएगी।
शशिभूषण सिंह, कलेक्टर।