शनिवार दोपहर करीब सवा 12 बजे परिजनों से मुलाकात के दौरान ग्राम भेड़ा निवासी कैदी रामप्रसाद की तबीयत अचानक बिगड़ी और इमरजेंसी में अस्पताल ले जाए जाने के दौरान रास्ते में ही कैदी की मौत हो गई।
जेल अधीक्षक लीना कोष्ठा ने बताया कि 26 नवंबर को कैदी की तबीयत बिगडऩे पर डॉक्टर ने अस्पताल रैफर किया। तब से लगातार गार्ड मांग रहे हैं, लेकिन आरआइ ने बल उपलब्ध नहीं होने की बात कही। लिखकर भी दिया। इधर, एक कैदी की मौत के बाद अब डीएसपी हेडक्वार्टर राजेंद्र मिश्रा इस मामले को जांच का विषय बता रहे हैं।
लापरवाही ने ले ली जान
जेल में 302 व 304 बी के अपराध में बंद कैदी रामप्रसाद के परिजनों ने आरोप लगाया कि लापरवाही ने उसकी जान ले ली। शनिवार को मुलाकात के दौरान उसे उठाकर लाया गया था। खराब स्वास्थ्य के बाद जेल में विरोध दर्ज कराने पर इलाज के लिए भेजा गया और रास्ते में उसकी मौत हो गई।
यह है प्रावधान
जेल प्रशासन के अनुसार नियम है कि उपचार, पेशी और ट्रांसफर में कैदी को लाने व ले जाने के लिए पुलिस लाइन से बल उपलब्ध होता है। इसके लिए लाइन में अलग से जेल वाहन भी होता है।
बल उपलब्धता में लापरवाही के ये भी उदाहरण
– 25 नवंबर को चार कैदियों को मेडिकल जबलपुर रैफर करने के बाद विलंब से बल दोपहर में 12.30 बजे पहुंचा। जबलपुर में एक कैदी को डॉक्टर द्वारा भर्ती लिखने के बाद साथ में गए पुलिसकर्मी ने पर्ची पर स्वयं इलाज नहीं करवाना लिखकर कैदी का अंगूठा लगवाकर वापस ले आए। जेल में बीमार कैदियों को रखे जाने से मना करने पर आरआइ ने दूसरे दिन दोबारा भिजवाने की बात कही।
– कोरोना संकट के बीच अब कैदियों की ऑनलाइन पेशी हो रही है। इसके बाद भी इलाज में बल उपलब्ध करवाने में लापरवाही से कई कैदियों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा।
– शनिवार को एक कैदी की मौत की जानकारी पुलिस तक पहुंचते ही आनन-फानन में बल उपलब्ध करवाया गया और पांच कैदियों को अस्पताल भिजवाया गया।