दो ट्रेनों को जोडऩे में भी रहे आगे
लांग हॉल याने की दो ट्रेनें जोड़कर चलाने में भी यार्ड इस बार आगे रहा। एक साथ में डेढ़ किलोमीटर लंबी ट्रेनें चलाई गईं। इससे समय, लागत बचती है इसके मार्च 18 में 78 ट्रेनें रवाना हुईं थी, जबकि इस बार 88 ट्रेनें यार्ड में बनाकर भेजी गईं। इतना ही नहीं यार्ड में खाली बक्से आते हैं, उनकी वेलिडिटी रहती है। उसका दोबारा यार्ड में चेक करके जाने लायक होता है उसे रवाना किया गया, बाकी को रिपेरिंग कर भेजा गया। मार्च में सर्वाधिक 414 ट्रेनों का एग्जामिन किया गया। पिछले साल 2538 ट्रेनें चली थीं जो इस साल बढ़कर 2669 हुईं।
ऐसे हुआ संभव
कई वर्षों के रिकॉर्ड तोडऩे सहित नए आयाम स्थापित करने में अधिकारियों की तकनीक काम आई। रेलवे के अधिकारियों ने रेलवे की आय में सबसे सशक्त माध्यम को गति देने के लिए सबसे पहले तो यार्ड की खामियों को दूर किया। ट्रैक कनेक्टिविटी, सिग्नल आदि पर फोकस किया। इसके लिए अधिकारी-कर्मचारियों को मोटीवीवेट किया, इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल के समन्वय, ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट के सहयोग, यार्ड स्टॉफ सहित रेलवे अधिकारी कर्मचारी का के सहयोग से यह मुकाम हासिल किया गया।
इनका कहना है
अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से इस वर्ष खासकर मार्च में अभूतपूर्व काम हुए हैं। यार्ड की समस्याओं को हल करते हुए सबसे अधिक मालगाडिय़ों को भेजने, निकालने का काम हुआ है। इसमें कई रिकार्ड तो टूटे ही साथ ही बिलासपुर डिवीजन कोल सप्लाई में नंबर व धनबाद दूसरे स्थान पर रहा।
प्रसन्न कुमार, एरिया मैनेजर।