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एशिया के सबसे बड़े यार्ड के बड़े एचीवमेंट 2019: एनकेजे यार्ड से ट्रेनें भेजने पर देश में टॉप रहा बिलासपुर डिवीजन

धनबाद ने भी हालिस किया दूसरा नंबर, जबलपुर डिवीजन से भी सर्वाधिक बॉक्स-एस हुए लोड

कटनीApr 03, 2019 / 11:54 am

balmeek pandey

Railway run by electricity engine till the byavhari

रविवार को न्यू कटनी जंक्शन (एनकेजे) आउटर से सिंगरौली लाइन पर ओएचइ का काम तेज किया गया

कटनी. कहते हैं यदि मन में कुछ बेहतर कर गुजरने का जज्बा हो तो समस्याएं भी घुटने टेक देती हैं और आप बाजी मार जाते हैं। ऐसा ही कुई हुआ है इस साल एशिया के सबसे बड़े यार्ड एनकेजे में। यहां से आने-जाने वाली माल गाडिय़ों के रैक ने न सिर्फ कई रिकॉर्ड तोड़े हैं बल्कि यहां के काम से बिलासपुर डिवीजन कोल सप्लाई में देश में पहला स्थान और धनबाद डिवीजन दूसरे स्थान पर है। यह सब संभव हो पाया है यार्ड के अधिकारियों की बेहतर कार्यप्रणाली के चलते। बता दें कि यार्ड में पहुंचने वाले बॉक्स-एन से कोल की ढुलाई होती है। राजस्थान, गुजरात दिल्ली को खाली बॉक्स-एन रैक सिंगरौली धनबाद और बिलासपुर 30-31 बॉक्स-एन प्रतिदिन दिए जा रहे थे। मार्च में लोड होकर राजस्थान, दिल्ली सहित अन्य बड़े पॉवर हाउसों के लिए भेजे गए। मार्च 2018 की अपेक्षा मार्च 2019 में कई रिकार्ड बने हैं। गुड्स ट्रेनों से रेलवे को दो-तिहाई आय होती है, उसमें से आधी आय कोल सप्लाई से हाती है। खाली, सीमेंट, लोडेड जाते हैं वे टे्रनें गई 2685 गई हैं, जबकि एनकेजे यार्ड से एक माह का सर्वाधिक रिकार्ड 2531 था। बिलासपुर से पिछले साल तक 976 ट्रेनें आईं इस बार 1006 आईं। इसके पहले तक एक दिन में दिन 38 ट्रेनें चलीं थी जो इस बार 39 चलाई हैं। एनकेजे यार्ड के एचीवमेंट से एमटी बॉक्स-एस धनबाद, बिलासपुर डिवीजन में 17.5 फीसदी लोडिंग में बढ़ोत्तरी हुई। वहीं धनबाद में 20.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। जबलपुर डिवीजन में भी सीमेंट, क्लिंकर, कोल, फूड ग्रेंस लोड होते हैं। 27.41 मिट्रिक टन पिछले साल तक हुआ था इस साल 27.62 मिट्रिक टन हुआ है। एक दिन में 2329 वैगन 31 मार्च को लोड हुआ जो जबलपुर का हाइ स्कोर रहा।

दो ट्रेनों को जोडऩे में भी रहे आगे
लांग हॉल याने की दो ट्रेनें जोड़कर चलाने में भी यार्ड इस बार आगे रहा। एक साथ में डेढ़ किलोमीटर लंबी ट्रेनें चलाई गईं। इससे समय, लागत बचती है इसके मार्च 18 में 78 ट्रेनें रवाना हुईं थी, जबकि इस बार 88 ट्रेनें यार्ड में बनाकर भेजी गईं। इतना ही नहीं यार्ड में खाली बक्से आते हैं, उनकी वेलिडिटी रहती है। उसका दोबारा यार्ड में चेक करके जाने लायक होता है उसे रवाना किया गया, बाकी को रिपेरिंग कर भेजा गया। मार्च में सर्वाधिक 414 ट्रेनों का एग्जामिन किया गया। पिछले साल 2538 ट्रेनें चली थीं जो इस साल बढ़कर 2669 हुईं।

ऐसे हुआ संभव
कई वर्षों के रिकॉर्ड तोडऩे सहित नए आयाम स्थापित करने में अधिकारियों की तकनीक काम आई। रेलवे के अधिकारियों ने रेलवे की आय में सबसे सशक्त माध्यम को गति देने के लिए सबसे पहले तो यार्ड की खामियों को दूर किया। ट्रैक कनेक्टिविटी, सिग्नल आदि पर फोकस किया। इसके लिए अधिकारी-कर्मचारियों को मोटीवीवेट किया, इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल के समन्वय, ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट के सहयोग, यार्ड स्टॉफ सहित रेलवे अधिकारी कर्मचारी का के सहयोग से यह मुकाम हासिल किया गया।

इनका कहना है
अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से इस वर्ष खासकर मार्च में अभूतपूर्व काम हुए हैं। यार्ड की समस्याओं को हल करते हुए सबसे अधिक मालगाडिय़ों को भेजने, निकालने का काम हुआ है। इसमें कई रिकार्ड तो टूटे ही साथ ही बिलासपुर डिवीजन कोल सप्लाई में नंबर व धनबाद दूसरे स्थान पर रहा।
प्रसन्न कुमार, एरिया मैनेजर।

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