इंंडस बाल श्रम परियोजना में संचालित 37 स्कूलों में बच्चों को नहीं मिल रहा दोपहर का भोजन कर्मचारियों का भी जारी नहीं हुआ वेतन
कटनी•Dec 25, 2018 / 12:02 pm•
mukesh tiwari
No food for children from six months
कटनी. श्रमिक परिवार के बच्चे शिक्षा से वंचित न हों, इसके लिए जिले मेंं इंडस बाल श्रम परियोजना चलाई जा रही है। परियोजना का हाल यह है कि पिछले छह माह से जिले में संचालित 37 स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को मध्यांन भोजन ही नहीं मिल रहा है तो केन्द्रों के कर्मचारियों का वेतन भी जारी नहीं किया गया है। एमडीएम को लेकर केन्द्रों के निरीक्षण की बात संचालकों से कही जा रही है तो वेतन आदि की राशि के लिए बजट न होना अड़ंगा बना हुआ है। ऐसे में संचालन संस्थाएं को केन्द्र संचालित करने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
जून माह से परियोजना के जिले के कटनी में 11, विजयराघवगढ़ में 4, बहोरीबंद में 9, बड़वारा में 7 और ढीमरखेड़ा में 6 श्रमिक बच्चों के स्कूल प्रारंभ किए गए हैं। इन स्कूलों में 1534 बच्चे दर्ज हैं और उनको पिछले छह माह से एमडीएम नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में बच्चों को स्कूल तक लाने में संचालकों व स्टॉफ को दिक्कत हो रही है। स्कूलों को एमडीएम जारी करने को लेकर केन्द्रों का निरीक्षण करने की बात कही जा रही है। निरीक्षण न होने से केन्द्रों के डेढ़ हजार से अधिक बच्चे शासन की योजना से वंचित हैं।
मकान किराया, शिक्षकों का मानदेय भी नहीं
केन्द्रों को संचालित करने वाली संस्थाओं को पिछले छह माह से मकान का किराया तक जेब से ही भरना पड़ रहा है। नियमानुसार दो से ढाई हजार रुपये किराया देना हैं और ऐसे में संचालक ही उसका भुगतान कर रहे हैं। प्रति केन्द्र दो शिक्षकों को 7-7 हजार, लिपिक को 5 हजार और सहायिका को 3 हजार रुपये मानदेय देना है। केन्द्रों में हर माह लगभग 25 हजार रुपये का भुगतान होना है लेकिन राशि न आने से कर्मचारियों को मानदेय के लाले हैं।
खास बातें-
– जून 2018 से जिले में शुरू हुआ है 37 केन्द्रों का संचालन
– संचालन के बाद से आज तक जारी नहीं हुआ एमडीएम
– स्कूलों में दर्ज हैं 1534 छात्र
– कटनी में 11, विजयराघवगढ़ में 4, बहोरीबंद में 9, बड़वारा में 7 और ढीमरखेड़ा में संचालित हैं छह स्कूल
– छह माह से भवन किराया और कर्मचारियों का मानदेय भी नहीं हुआ जारी
इनका कहना है…
आचार संहिता के चलते परेशानी एमडीएम की फाइल आगे नहीं बढ़ पाई थी। दो दिन पूर्व ही उसे जिला पंचायत भेजा गया है और जल्द स्कूलों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। अभी तक बजट नहीं मिला है और उपलब्ध होते ही केन्द्रों को राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
रुपल परौहा, समन्वयक, इंडस बाल श्रम परियोजना