संक्रमण के खतरे के बीच छोटे-छोटे मेंटीनेंस कार्य दे रहे लोगों को राहत…
शादियों में भी मिलता था काम
जिन घरों में शादी समारोह होता था, वहां पर भी दरवाजे व दीवार में लोग वर वधु का नाम लिखाने के साथ ही पेंटिंग का काम भी कराते थे। गर्मी के दिनों में पेंटर्स की आय का एक जरिया वह भी होता था लेकिन लॉक डाउन में शादी समारोह आदि पर लगी रोक से यह आय भी मारी गई।
खास-खास
– सीजन में आधा सैकड़ा निजी स्कूलों, कॉलेजों की पेंटिंग का मिलता था काम
– जिला मुख्यालय से लेकर तहसील, बड़े कस्बों में जाकर करनी होती थी पेंटिंग
– कुछ स्कूल, कॉलेज एक लाख रुपये तक का देते थे काम
– सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार का भी बंद पड़ा है काम
इनका कहना है…
गर्मी के दिनों में शहर के छोटे-बड़े निजी स्कूल व कॉलेजों से वॉल पेंटिंग का अच्छा खासा काम मिलता था। लॉक डाउन में सीजन की मुख्य कमाई ही नहीं मिल पाई है। एडमीशन चालू होने पर भी काम मिलने की उम्मीद नहीं है।
विकास सिंह, पेंटर
सीजन की यही कमाई है, जिससे अपने परिवार के लिए सालभर की सामग्री का इंतजाम पेंटर करते थे। फ्लैक्स ने पहले ही काम की कमर तोड़ रखी है। अब लॉक डाउन में जो काम मिलता था, वह भी नहीं मिल रहा है।
प्रदीप कुमार, पेंटर