इस वजह से हजारों लोगों का अपनों से दूर रहकर मनेगा दीपोत्सव पर्व
कटनी-सिंगरौली व बिलासपुर के लिए सबसे कम ट्रेनें, पैसेंजर ट्रेनें न चलने से लोक यात्रियों, मजदूरों व नौकरी-पेशा को सबसे ज्यादा परेशानी

कटनी. दीपोत्सव पर्व 14 नवंबर को है, ऐसे में हर कोई अपनों के साथ रहकर खुशी का पर्व मनाना चाह रहा है, लेकिन इसमें साधन बड़ी बाधा बने हुए हैं, लंबी दूरी के लिए ट्रेनें न होने व कम ट्रेनें चलने के कारण यात्रियों की खासी मुसीबतें बढ़ी हैं। अनलॉक के बाद भी ट्रेनों का परिचालन न शुरू होने से हर आम और खास परेशान हैं। एक्सप्रेस ट्रेनें न चलने से लंबी दूरी तो वहीं पैसेंजर न चलने से आसपास गांव-देहात के नौकरी-पेशा व मजदूरों को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को पत्रिका ने मुख्य रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और बाजार में आवागमन को लेकर नब्ज टटोली तो लोगों ने परेशानी बयां की। मुकेश यादव निवासी निवार, वीपी मिश्रा निवार ने बताया कि प्रतिदिन वे पैसेंजर ट्रेनें के चलने से अप-डाउन कर कटनी में मजदूरी करते थे, 20 रुपये में आवागमन हो जाता था, लेकिन अब 60 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। गल्र्स कॉलेज में अध्ययन करने वाली झलवारा निवासी छात्रा कुमकुम ने बताया कि प्रतिदिन ट्रेन से अपडाउन करतीं थी, लेकिन अब आटो में अधिक रुपये खर्चने पड़ रहे हैं। ऑटो हालांकि जिले में पूरी बसों का संचालन हो रहा है, जिससे यात्रियों को काफी सुविधा है, लेकिन किराया अधिक चुकाना पड़ रहा है।
यह है जंक्शन व साउथ में ट्रेनों के हालात
कटनी जंक्शन से प्रतिदिन 90 ट्रेनों का परिचालन होता था, प्रतिदिन 15 हजार यात्री यात्रा करते थे अब अनलॉक में प्रतिदिन व सप्ताहिक अपडाउन मिलाकर 22 जोड़ी टे्रेनें चल रही हैं। प्रतिदिन लगभग कटनी जंक्शन से बिलासपुर के लिए सिर्फ सारनाथ एक्सप्रेस जा रही है, कटनी से सिंगरौली के लिए एक भी टे्रन नहीं है, जिससे यात्रियों को खासी मुसीबत हो रही है। शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन साउथ का भी यही हाल है, आठ ट्रेनें यहां से नर्मदा एक्सप्रेस, अमरकंटक एक्सप्रेस, शक्तिपुंज, अंबिकापुर, इंटरसिंटी सिंगरौली, दो वीकली थीं। अब अंबिकापुर, नर्मदा, एक वीकली बंद है। प्रतिदिन यहां से 12 सौ यात्री यात्रा करते है ंअब यहां से डेढ़ से दो सौ यात्री ही यात्रा करते हैं, जिससे यात्रियों को खासी मुसीबत हो रही है।
मुड़वारा से हर दिन लौट रहे 6 सौ यात्री
मुड़वारा स्टेशन से प्रतिदिन 32 से 35 गाडिय़ों का आवामन होता था। प्रतिदिन यहां से 10 से 12 हजार यात्री यात्रा करते थे। इब अनलॉक में सोमनाथ एक्सप्रेस, दुर्ग-निजामुद्दीन, दुर्ग-जम्मुतवी, दयोदय, गोंडवाना कामायानी, क्षिप्रा, रेवांचल एक्सप्रेस ही चल रहीं हैं। कुल छह गाडिय़ा चल रही हैं। इनमें महज 2 से ढाई हजार यात्री ही यात्रा कर पा रहे हैं। हर ट्रेन में 250 के फर वेटिंग चल रही है, जिससे यात्रियों को निराशा हाथ लगती है। सिंगरौली, शहडोल के लिए विशेष ट्रेनें न होने के कारण लोग यात्रा नहीं कर पा रहे।
किसी तरह घर व नौकरी में पहुंचना चाहते हैं हम...
केस 01
जयपाल सिंह निवासी धनौड़ी जिला उमरिया ने बताया कि लॉकडान में किसी तरह घर आ गए थे, अब वापस काम पर जाने के लिए परेशान थे। अब टिकट मिला है तो कानुपर जा रहे हैं।
केस 02
सिंगरौली निवासी अनिल प्रजापति ने बताया कि अशोकर नगर में पॉलीटेक्निक कॉलेज में एडमिशन के लिए जाना था। बड़ी मुश्किल में रिजर्वेशन कराकर कटनी से अब अशोकनगर जा रहे हैं।
केस 03
आठ माह से जा रहे घर
अहमदाबाद प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने वाले गांव चंदे जिला रीवा निवासी राकेश पटेल ने कहा कि आठ माह से गांव जाने की सोच रहे थे। कोविड महामारी के कारण निकल नहीं पा रहे थे। अब जा रहे हैं।
केस 04
भीम प्रजापति राजस्थान ढुड़का से हैं जो बनारस जा रहे थे, बताया कि वहां पढ़ाई करते हैं, लेकिन बीमारी के कारण व ट्रेन न होने के कारण नहीं जा पा रहे थे। अब रिजर्वेशन मिलने पर बनारस जा रहे हैं।
खास-खास
- पैसेंजर ट्रेनें से कटनी से स्लीमनाबाद, कटनी से चंदिया, कटनी से मैहर, कटनी से रीठी, कटनी से बरही तक के सैकड़ों गांवों के मजदूर ट्रेन से अपडाउन कर करते थे मजदूरी।
- ट्रेनें बंद होने से शासकीय विभागों में कई अधिकारी-कर्मचारी करते थे अपडाउन, अब समय पर नहीं पहुंच पाते, जिससे काम होते हैं प्रभावित।
- कटनी आसपास के जिले के लिए बड़ा व्यवसायिक केंद्र हैं, ट्रेलें बंद होने से व्यापारियों को होती है खासी परेशानी, व्यापार भी पड़ है ठप।
- देहाड़ी मजदूरों की है सबसे ज्यादा परेशानी, गंतव्य तक जाने के लिए यात्रियों को भी हो रही है परेशानी, आपातकाल में भी ट्रेनें न मिलने से होती है परेशानी।
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