ग्रामीणों का आरोप है कि इससे बिजली आपूर्ति में लो वोल्टेज और ट्रिपिंग की समस्या बढ़ गई। जाहिर है 20 किलोमीटर दूर बहोरीबंद से इन गांव को जोडऩे मेंं खंभा और बिजली तार लगाने में खर्च ज्यादा आया है। इससे ठेकेदार को लाभ से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर ग्रामीणों के आरोप पर बिजली विभाग के ग्रामीण कार्यपालन यंत्री का कहना है कि ग्रामीणों को बिजली से मतलब होना चाहिए। कहां से आपूर्ति की जा रही है, यह विभाग का काम है।
आठ किलोमीटर के बजाए बीस किलोमीटर दूर से ग्रामीणों को बिजली आपूर्ति का मुद्दा स्थानीय विधायक प्रणय पांडेय भी उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के अफसरों की कार्यशैली से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि समस्या को लेकर बिजली विभाग के एसइ एलपी खटिक को 19 सितंबर को पत्र लिखकर उनके गांव में बिजली आपूर्ति स्लीमनाबाद सबस्टेशन से करने की मांग की गई थी। इस पर दो माह बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। समस्या जस की तस बनी हुई है।
इस संबंध में बिजली विभाग के ग्रामीण इइ नीरज कुचिया बताते हैं कि अगर ग्रामीण कह रहे हैं कि ठेकेदार को फायदा पहुंचा है तो बताएं कौन ठेकेदार है जिसे लाभ मिला है। हमारा काम है उपभोक्ताओं को बिजली देना, यह हम तय करेंगे कि आपूर्ति कहां से की जाए। उपभोक्ता अपना सर्विस नंबर के साथ शिकायत बताएं। हम समस्या दूर करेंगे।