इस बारे में एसडीएम बलबीर रमण बताते हैं कि नमूने देने के लिए ऑनलाइन पंजीयन में समय पर फोन क्यों नहीं किया जा रहा है इस बारे में स्वास्थ्य विभाग से बात करते हैं। निजी अस्पतालों में मनमाना राशि ली जा रही है तो कलेक्टर को जानकारी देंगे। कोशिश होगी कि निजी अस्पतालों के लिए दरें तय की जाए।
जिला प्रशासन ने कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिए लोगों को ऑनलाइन पंजीयन करवाकर कतार से बचने की पहल की थी, लेकिन प्रशासन की व्यवस्था दिखावा ही साबित हो रही है। नागरिकों ने बताया कि ऑनलाइन पंजीयन करने के पांच दिन तक फोन नहीं आ रहा है कि कब जाकर नमूने देने हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगर कोई संक्रमित है तो लेटलतीफी से उसे कितना नुकसान होगा।
नागरिकों ने बताया कि कोरोना संक्रमण बढऩे के साथ ही कई निजी अस्पताल आनन-फानन में खुल गए। प्रशासन का दावा है कि ये अस्पताल लोगों की सेवा करने खुले हैं, लेकिन इसके उलट ये लूट का अड्डा बन गए हैं। कोई कोविड-19 पॉजिटिव इलाज के लिए पहुंच गया तो दो से तीन लाख रूपये तक ऐंठ रहे हैं।
दुगाड़ी नाला के समीप और आदर्श कॉलोनी के अलावा शहर के दूसरे कई स्थानों पर ऐसे अस्पताल खुल गए हैं को कोरोना संकट काल में आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। नागरिकों को खुलेआम लूट रहे हैं।