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कटनी

उम्र 20 वर्ष, लेकिन पिछले 15 वर्ष से जंजीरों की जकडऩ

– भिंयाड़ गांव में है जंजीरों में कैद मनोरोगी- गरीबी के कारण उपचार करवाना भी मुश्किल

कटनीFeb 08, 2017 / 11:55 am

भवानी सिंह

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उम्र 20 वर्ष, लेकिन पिछले15 वर्ष से जंजीरों की जकडऩ। सुनने में भले ही ताज्जुब हो, लेकिन भिंयाड़ गांव के बाबूराम की इस स्थिति से परिजन भी सकते में हैं। परिजनों की मजबूरी है कि उन्हें अपने फूल से मासूम को पांच वर्ष की उम्र में ही बेडिय़ों में जकडऩा पड़ा। असल में बाबूराम मनोरोगी है और परिजन आर्थिक तंगी के चलते उसका इलाज नहीं करवा पा रहे हैं।
बस पांच साल तक रही खुशियां

भिंयाड गांव के दमाराम गोदारा के परिवार में 20 वर्ष पूर्व जब थाली बजी तो परिवार में खुशियां छा गई। लेकिन जब बाबूराम 5 वर्ष का हुआ तो मिर्गी का दौरा आया। इसके बाद मानसिक संतुलन खो बैठा। परिजन ने कुछ दिन उपचार करवाया और उसके बाद हरकतें असहनीय हुई तो जंजीरों से जकड़ दिया। तब से उसका जीवन ही इन जंजीरों में है। 
परिजन खाना दे देते हैं। बाबूराम को न कपड़ों की सुध है और न ही अपनी। परिवार की माली हालत खराब होने के कारण अब उसका उपचार नहीं हो पाया है। बाबूराम के पिता बताते हैं कि मानसिक स्थिति सही नहीं होने से घर से निकल जाता तो ढूंढकर लाना मुश्किल हो जाता। इसलिए जंजीर से बांध रखा है।
पेंशन भी बंद

बाबूराम को सरकारी सहायता के रूप में हर माह 500 रुपए पेंशन मिल रही थी, लेकिन करीब चार माह से यह राशि भी नहीं मिली है।

मजबूरी में बांधा
बड़े बेटे की मानसिक स्थिति सही नहीं होने के कारण मजबूरन जंजीरों में बांधना पड़ा। माली हालत खराब है।- तीजो देवी माता

सहयोग की आवश्यकता

मानसिक हालत खराब होने के कारण बाबूराम 15 वर्षों से जंजीरों में जकड़ा है। परिवार का लालन पालन मुश्किल हो रहा है। उपचार की आवश्यकता है।-दमाराम गोदारा पिता
एक्सपर्ट व्यू

बाड़मेर जिले में मानसिक विक्षिप्तों को लेकर शिविर लगाकर कार्य करने की जरूरत है। अभी बाड़मेर में मनोरोग चिकित्सक भी है। एेसे में ब्लॉक स्तर पर कैम्प लगा मानसिक विक्षिप्तों की जानकारी ली जाए। जिला स्तर पर पूरी सुविधाएं नहीं मिले तो जरुरत अनुसार उन्हें रैफर किया जा सकता है। कई मानसिक रोगियों का घर जाकर भी उपचार संभव है। जंजीरों में ऐसे रोगियों को रखना मानवता नहीं है।- डा. गणपतसिंह राठौड़, पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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