प्रस्ताव के अनुसार मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम ऑनलाइन (माइनिंग कार्पोरेशन) के माध्यम से आगे की प्रक्रिया संचालित होगी। बताया जा रहा है कि रेत खदानों को समूहों के माध्यम से नीलामी करने का निर्णय प्रदेशभर से मिले सुझाव के आधार पर किया गया है। नई रेत नीति के अनुसार जिन ग्राम पंचायतों में खदानें हैं, स्थानीय विकास की राशि उस गांव को पहले प्राप्त होगी। डीएमएफ अंतर्गत स्थानीय विकास की राशि प्राप्त होगी।
कुम्हार और परम्परागत स्थानीय शिल्पकारों को पूर्व की भांति छूट रहेगी। स्थानीय निवासियों को रोजगार देना अनिवार्य होगा। मशीनों से खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। इधर सभी प्रकार के भंडारण लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं।
ठेकेदारों द्वारा अपने-अपने भंडार की जानकारी जिला कलेक्टर को दिए जाने के बाद और उसका सत्यापन होने के बाद कलेक्टर भंडारण को खाली करने की अनुमति एवं समय-सीमा देंगे। इस संबंध में प्रभारी खनिज अधिकारी संंतोष सिंह बताते हैं कि समूह बनाकर रेत खदान नीलामी में दो माह का समय लग सकता है। इस बीच प्रदेश में रेत की आपूर्ति बनी रहे इसके लिए नियमों में व्यापक प्रावधान किए गए हैं। जिन ठेकेदारों के पास पुरानी नीलामी प्रक्रिया के अंतर्गत मार्च, 2020 अथवा उसके बाद के अनुबंध है, वे भी अपनी निर्धारित अनुबंध अवधि तक खनन प्रक्रिया जारी रख सकेंगे।