दिन में दस तो रात में सिर्फ चार कर्मचारी:
शहर से लगभग 10 किमी दूर हिरवारा में लिटिल स्टार फाउंडेशन संस्था द्वारा 2005 से बेसहारा व किसी कारण से घर से भागी हुई 6 से 18 वर्ष की किशोरियों को रखा जाता है। 15 दिन पहले आई दो किशोरियों के भागने मामले में पत्रिका ने पड़ताल की। कर्मचारियों से पूछताछ की। जिसमें यह निकलकर आया कि किशोरियोंं की सुरक्षा को लेकर दिन में 10 से अधिक व रात में सिर्फ 4 कर्मचारी तैनात है।
पहले भी भाग चुकी है किशोरियां
ग्राम हिरवारा में संचालित लिटिल स्टार फाउंडेशन संस्था से किशोरियों के भागने का कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी दो से तीन बार किशोरियों के भागने की घटना सामने आ चुकी है। किशोरियों को भी पुलिस ने पकड़ लिया था।
संस्था संचालक ने चार दिन बाद सोशल मीडिया में पोस्ट कर मांगी मदद
संस्था से अचानक किशोरियों के भाग जाने पर संस्था संचालक ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से मार्गदर्शन मांगा है। साथ ही संचालक ने ऐसी किशोरियां जो प्रेम प्रसंग की वजह से आ रही है, उनको आश्रय गृह की वजह किसी दूसरे संस्थान में रखने की मदद मांगी है। खासबात यह है कि संस्था संचालक ने घटना के पांच दिन बाद मदद मांगी है। सोशल मीडिया पर ९ अगस्त को पोस्ट की गई।
जांच की जा रही है
दो नाबालिकोंं के गायब होने की रिपोर्ट संस्था द्वारा दर्ज कराई गई है। लड़कियां ४ अगस्त की रात गायब हुई थी। पांच अगस्त को संस्था के लोग आए थे। किशोरियों से संबंधित दस्तावेज मंगाए थे, लेकिन लेकर नहीं आए। इसके बाद ८ अगस्त को रिपोर्ट दर्ज कराई। मामले की जांच की जा रही है। मौजूद कर्मचारियों से पूछताछ की गई है। गेट पर सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगा मिला है।
मंजू शर्मा, थाना प्रभारी, एनकेजे।
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4 अगस्त की रात दोनों किशोरियां मौके का फायदा उठाकर भागी थी। दूसरे दिन सूचना मिलने पर रिपोर्ट दर्ज कराने गए थे, लेकिन थाना प्रभारी ने रिपोर्ट नहीं लिखी। इसके बाद एसपी के यहां पर शिकायत की। तब जाकर 8 अगस्त को रिपोर्ट लिखी गई है। सीसीटीवी कैमरा प्रवेश द्वार की जगह मेन गेट पर लगा है, वहीं से सारी गतिविधियां रिकार्ड हो जाती है।
डॉ. समीर चौधरी, संचालक, लिटिल स्टार फाउंडेशन।
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फाउंडेशन संचालक का मैसेज हुआ वायरल
घर से अपने प्रेमियों संग भागी हुई नाबालिग लडकियों को ज्यादातर उनके परिवारजनों द्वारा अपनाने से इंकार कर दिया जाता है एवं सरकार के पास कोई विकल्प ना होने की स्थिति में लिटिल स्टार चिल्ड्रन होम में भेज दिया जाता है। जो हमारे मासूम बच्चों के लिए खऱाब माहौल पैदा करती है। साथ ही मौका मिलते ही भाग जाया करती है। अभी हाल ही में दो शादीशुदा गर्भवती बालिकाएं अपने पातियों की साजि़श के तहत भाग गई और हमारे लिए एक नई परेशानी खड़ी कर गई। अनाथ एवं बेसहारा बच्चों के लिए शुरू किए गए उपक्रम में आज ज्यादातर ऐसी ही अपने परिवार की मान मर्यादा को तार तार कर चुकी बालिकाओं की भरमार है। मैं किस तरह इनका भविष्य संवारने की कोशिश करूं जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य अपने प्रेमी से मिलन मात्र है। कृपया मार्गदर्शन करे।
डा. समीर चौधरी।
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