चार दिन बाद उपचार कराने पहुंचे अस्पताल
घटना के चार दिन बाद यानि शनिवार तक जब बेटे का पैर ठीक नहीं हुआ तो उपचार के लिए मां जिला अस्पताल पहुंची। यहां पर डॉक्टर ने पैर में चोट लगने का कारण पूछा। पहले तो मां-बेटे ने बताने से मनाकर दिया। पत्थर गिरने का कारण बताया, लेकिन डॉक्टर ने उनकी बात नही मानी। उपचार नही करने की बात कही। तब बेटे ने बताया कि आरपीएफ पुलिस द्वारा पिटाई की गई है। मां ने बताया कि चार दिन तक वह घर पर ही बेटे के पैर में तेल मालिश करती रहीं, लेकिन जब ठीक नहीं हुआ तब उपचार कराने अस्पताल लेकर आई। इसके बाद बेटे के पैर में डॉक्टरों ने प्लास्टर बांधा।
किशोर बोला-जो आया वही मारा
आरपीएफ पुलिस पर आरोप लगाते हुए निखिल ने बताया कि दो दिन तक थाने में बंद रखा गया। इस बीच जो पुलिस वाले थाने आते वहीं पिटाई करते। उल्टा लटका देते थे। पाइप लात, घूंसों से जमकर पिटाई की। मैं उनको पतंग लूटने की बात कहता रहा, लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई। साथ ही यह भी कहा गया कि किसी को घटना के बारे में बताया तो पकड़कर फिर से पीटेंगे। उन्हीं की पिटाई से मेरा पैर फ्रैक्चर हो गया है।
इनका कहना है
उपनिरीक्षक पटेल द्वारा किशोर को थाना लाया गया था। हो सकता है पूछताछ के लिए बंद किया हो। इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। प्रकरण दर्ज कर माता-पिता को बुलाकर घटनाक्रम के बारे में जानकारी देकर छोड़ दिया गया था। किशोर का पैर कैसे टूटा इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है।
दिनेश सिंह सोए, थाना प्रभारी आरपीएफ।