कोरोना संकट काल में इस बार बाहर जाकर कमाई करने वाले युवा वापस गांव लौटे तो इसका सीधा लाभ खेती में हुआ। खेती के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा और बोवनी के रकबा में वृद्धि हुई। खरीफ की फसलों में तो अकेले धान में ही तीन हजार हेक्टेयर का रकबा बढ़ गया। दलहन में तो वृद्धि का रकबा दस हजार हेक्टेयर से ज्यादा का रहा। कटनी जिले मेंं युवा किसानों ने खेती में रूचि ली तो परंपरागत खेती के बीच नए प्रयोग भी हुए। तेवरी गांव आसपास के किसानों ने स्वीटकॉर्न से लाभ कमाया तो ढीमरखेड़ा के सिलौड़ी और अंतरसूमा में किसानों के जीवन में गन्ना की खेती से मिठास घुल रही है।
कृषि विभाग के उपसंचालक एके राठौर बताते हैं कि कोरोना काल में जिलेभर में खेती के रकबा में वृद्धि हुई है। खरीफ में दलहन की फसलों के अलावा हाईब्रिड मक्का और गन्ना की खेती के साथ ही इस बार रबी फसल में भी रकबा में वृद्धि हुई है। कटनी जिले में किसानों का रूझान अब आर्गेनिक परंपरागत खेती की ओर भी बढ़ रहा है।
यह भी जानें
– 10 हजार हेक्टेयर का रकबा दलहन की फसलों में बढ़ा।
– 3 हजार हेक्टेयर रकबा खरीफ की फसलों में बढ़ा, एक लाख 85 से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर पहुंचा।
– 1 लाख 75 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई।
– 15 सौ हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलों में प्रमुख रूप से टमाटर की खेती हुई।
– 29 सौ हेक्टेयर में हाइब्रिड मक्का की खेती किसानों ने की।
– 5 सौ एकड़ में होती है गन्ने की खेती।