scriptपांच दशक से ग्रामीणों की जोखिम भरी डगर, फिर भी जिम्मेदार बेखबर | There is no better road for movement of villagers | Patrika News
कटनी

पांच दशक से ग्रामीणों की जोखिम भरी डगर, फिर भी जिम्मेदार बेखबर

नदी और पगडंडी के सहारे सफर करने को मजबूर ग्रामीण, लोगों की समस्या पर अधिकारी और जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान

कटनीNov 26, 2020 / 10:06 am

balmeek pandey

पांच दशक से ग्रामीणों की जोखिम भरी डगर, फिर भी जिम्मेदार बेखबर

पांच दशक से ग्रामीणों की जोखिम भरी डगर, फिर भी जिम्मेदार बेखबर

कटनी/सिहुडी बसेड़ी. बहोरीबंद क्षेत्र के ग्राम पंचायत केवलरहा और कंचनपुर के बीच बसेहड़ी कछार गांव के बीच नाले पर रपटा का निर्माण ना होने से ग्रामीण खासे परेशान हैं। बारिश में ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ जाती है। पानी के बीच से आना-जाना करते हैं। साल भर से आश्वासन मिलने के बाद भी अभी तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कराई गई है। रपटा ना होने के कारण बारिश में पानी के बीच से जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं। इतना ही नहीं बच्चों को स्कूल भेजने अभिभावक नाला पार कराते हैं। पानी अधिक होने पर बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। वहीं ग्राम पंचायत में ही राशन बांटा जाता है, जिससे सभी ग्रामवासी इसी रास्ते से आते-जाते हैं। जरा सी बारिश में यहां से ग्रामीणों का निकलना मुश्किल हो जाता है, जिस कारण बुजुर्ग और बच्चे खासे परेशान होते हैं। लोगों ने बताया कि साइकिल ले जाना भी मुश्किल हो जा रहा है। दो पहिया व चार पहिरया से लोग आवागमन नहीं कर पाते। ग्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों ने कई बार यहां आकर आश्वासन दिया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों ने बताया कि नाले पर ५० वर्षों से रपटा की मांग करते आ रहे हैं और जनप्रतिनिधियों अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण भी किया था, लेकिन आज तक व्यवस्था नहीं कराई गई। अब बारिश तो ठीक है ठंड और गर्मी में भी निकलना मुश्किल हो जाता है। डेढ़ किलो मीटर का रास्ता मात्र है, जबकि मोहतरा पटना होकर 6 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। इसके बाद लोग लोग ग्राम पंचायत पहुंचते हैं। ग्रामीणों ने अधिकारियों से जल्द से जल्द रफ्ता बनवाए जाने की मांग की है।

ग्रामीणों ने बयां की समस्या
नाली की समस्या 12 महीने बनी रहती है। कृषि कार्य में सिहुडी पास में पड़ती है। खाद बीज लेने के लिए किसान चार से 5 किलोमीटर का चक्कर लगाकर सोसायटी केंद्र पहुंचनते हैं।
चिंतामन ठाकुर, स्थानीय निवासी।

राशन लेने सुबह पैदल गया था। उम्र के चौथे पड़ाव में चलते-चलते थक जाते हैं। आधे घंटे इस पार से उस पार जाने में टाइम लगा है। कोई ध्यान नहीं दे रहा।
हीरालाल पटेल, स्थानीय निवासी।

नाले से साइकिल निकालना भी मुश्किल है। लगातार मांग करने के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। रपटा बन जाएगा तो बच्चों व ग्रामीणों की समस्या हो हो जाएगी।
नर्मद रैदास, स्थानीय निवासी।

सिर पर वजन लिए हुए इस मार्ग से आवागमन करना बड़ा कठिन है। रास्ता ऊबड़-खाबड़ रास्त होने के कारण हर समय हादसे का डर बना रहता है।
फूलाबाई मेहरा, स्थानीय निवासी।

लगातार मांग करने के बाद भी अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा। अधिकारियों ने मौके पर आकर कई बार निरीक्षण किया, लेकिन आज तक निराशा ही हाथ लगी है।
अमर सिंह ठाकुर, स्थानीय निवासी।

समस्या बहुत ही जटिल है। मेरी 50 वर्ष की उम्र है तब से आज तक यहां रपटा की मांग लगातार हो रही है, लेकिन आज तक न रपटा बना ना ही सड़क।
नवल सिंह ठाकुर, स्थानीय निवासी।

Home / Katni / पांच दशक से ग्रामीणों की जोखिम भरी डगर, फिर भी जिम्मेदार बेखबर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो