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दोस्तों को बेरोजगार देख 30 हजार रुपये वेतन की नौकरी छोड़ बनाया समूह, 10 लोगों को जोड़ा रोजगार से, कमा रहे हजारों

शिक्षित युवा नगरीय समिति कैमोर के नाम से बनाई समिति, क्षेत्र के युवाओं के लिए कायम की मिशाल
 

कटनीSep 19, 2018 / 11:12 am

dharmendra pandey

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कटनी. इरादें अगर नेक हो तो मंजिल खुद व खुद रास्ता बना लेती है। यह कहानी है कुछ ऐसा ही कर दिखाने वाले कैमोर निवासी 30 साल के डिप्लोमाधारी इंजीनियर युवा कपिल अग्रवाल की। रायपुर में 30 हजार रुपये हर माह वेतन पाने वाले डिप्लोमाधारी इंजीनियर ने दोस्तों के लिए नौकरी ही छोड़ दी। शिक्षित युवा नगरीय समिति कैमोर नाम से एक समूह बनाया। खुद के पैसे सामूहिक रूप से दुकान खोली। दोस्तों को रोजगार से जोड़ा। अब उससे होने वाली आय से खुद व दोस्तों का परिवार चल रहा है। कपिल अग्रवाल ने बताया कक्षा 12वीं तक कैमोर से पढ़ाई करने के बाद जबलपुर के कला निकेतन पॉलीटेक्नीक कॉलेज से इलेक्ट्रीकल इंजीनियर का डिप्लोमा लिया। क्षेत्र में संचालित कई औद्योगिक प्लांटों में नौकरी के लिए गया, लेकिन किसी ने नौकरी नहीं दी। पढ़ाई करने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिली तो परिवार के लोग तंज कसने लगे। माता-पिता की भी डांट खानी पड़ रहीं थी। झगड़े शुरू हो गए। घर में विवाद की स्थित बनते देख रायपुर छत्तीसगढ़ गया। यहां पर 30 हजार रुपये वेतन पर नौकरी की। इस बीच पिता का हार्ट अटैक से निधन हो गया। वापस आया तो देखा स्कूल व कॉलेज के दौरान जो दोस्त साथ में पढ़े थे, वे आज भी बेरोजगार घूम रहे है। दोस्तों को रोजगार से जोडऩे शिक्षित युवा नगरीय समिति कैमोर के नाम से समूह बनाया। इसमें दोस्तों को शामिल किया। नौकरी के दौरान जो पैसे बचे थे उसी से व्यापार शुरू किया। हालांकि काम को शुरू हुए लगभग 5 माह का ही समय हुआ है।

सबसे पहले स्टेशनरी व छात्र, फिर खोली सब्जी की दुकान
कपिल ने बताया कि समूह बनाने के बाद दोस्तों को रोजगार से जोडऩा पहली प्राथमिकता थी। इसके लिए सबसे पहले कॉपी किताब व छाता बेचने की दुकान खोली, लेकिन कुछ खास आय नहीं हुई। सभी के साथ मिलकर बैठक की। सब्जी की दुकान खोलने पर चर्चा की। क्योंकि यह व्यापार हर माह चलता है। कपिल ने बताया कि समूह में शामिल सदस्य कक्षा 10, 12वीं से लेकर ग्रेज्युऐट व पोस्ट गे्रज्युऐट तक पढ़े लिखे है। समूह में शामिल सभी सदस्य गांव जाकर किसानों से सब्जी खरीदते हैं, इसके बाद बिक्री की जाती है। समूह में शामिल दोस्त भी अपने इस काम से खुश है।

सिर्फ आने-जाने का तेल लेकर एबुंलेंस की कराता है उपलब्ध
दोस्तों को नौकरी देने के साथ ही कपिल क्षेत्रवासियों को न के बराबर खर्चें पर एंबुलेंस भी उपलब्ध कराता है। डिप्लोमाधारी इंजीनियर युवक कपिल ने बताया कि पिता को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस को फोन किया गया, लेकिन वह समय पर नहीं पहुंची। पिता की मृत्यु हो गई। जिसके बाद युवक ने खुद के पैसे से एक छोटी एंबुलेंस खरीदी। अब वह आने-जाने में लगने वाले तेल का खर्च लेकर लोगों को सस्तेदर पर एंबुलेंस की सुविधा दें रहा है।
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