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कटनी

उपस्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन कर्मचारियों की कमी से लटका है ताला, मरीजों को होती है परेशनी

पिपरिया शुक्ल सहित दर्जनों गांवों के मरीजों नहीं मिलता उपचार

कटनीMay 03, 2019 / 11:46 am

balmeek pandey

Threatened patient with sub-health center closure

Threatened patient with sub-health center closure

कटनी /उमरियापान. शासन द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का दम भरने का दावा धरातल पर खोखला साबित हो रहा है। ग्रामीण इलाकों की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई हैं। एक ओर सरकार सुदूर गांवों में अच्छी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के दावे कर उपस्वास्थ्य केंद्र खोल रही है दूसरी ओर स्टॉफ के अभाव में कई जगह हालात खराब हैं। मरीजों को ग्रामीण मुख्यालयों पर समुचित उपचार नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ गांवों में उपस्वास्थ्य केंद्र शोपीज बनकर तैयार है। मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा है। जानकारी के अनुसार विकासखण्ड ढीमरखेड़ा के अंतर्गत पिपरिया शुक्ल में बना उपस्वास्थ्य केन्द्र बीते कई वर्षों से बंद पड़ा है। यहां लाखों की लागत से निर्माण हुए अस्पताल भवन में ताला लटका रहता है। अस्पताल में कोई कर्मचारी नहीं रहता है। नजदीकी गांवों के मरीजों को छोटी मोटी बीमारियों का इलाज कराने तड़प रहे हैं। उपचार कराने के लिए मीलों का सफर कर उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाना पड़ता है। जिससे लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। देखरेख नहीं होने से उपस्वास्थ्य केन्द्र की स्थिति बहुत खराब हो गई है। दीवालों में दरारें पड़ गई है। दरवाजे, खिड़की सहित अन्य उपकरणों में जंग लग गई है। आसपास झाडिय़ां उग आई हैं। जिससे अब मरीज भी अस्पताल को नहीं झांक रहे हैं। इस संबंध में बीएमओ डॉ. राजेश केवट ने बताया कि उपस्वास्थ्य केन्द्र पिपरिया शुक्ल में एएनएम की नियुक्ति है। भवन क्षतिग्रस्त होने से बंद पड़ा है। जल्द ही भवन में मरम्मत कार्य कराया जाएगा, इसके लिए अधिकारियों को अवगत कराया गया है।

एक फ्रीजर कई माह से खराब
कटनी. जिला अस्पताल में प्रतिदिन औसतन दो से तीन शव पोस्टमार्टम के लिए पहुंचते हैं। पोस्टमार्टम के लिए पहुंचे शवों की शिनाख्त न होने व रात्रि आदि में मौत होने पर दूसरे दिन पीएम के लिए उन्हें मर्चुरी में रखवा दिया जाता है। मर्चुरी में शव सुरक्षित रहें इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लाखों रुपए के तीन फ्रीजर क्रय किए गए हैं। इनमें से एक फ्रीजर लगभग दो साल से खराब पड़ा है। पत्रिका द्वारा लगातार मर्चुरी में शव सडऩे व कर्मचारियों को हो रही इस समस्या का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया और एक फ्रीजर को आनन-फानन में सुधरवाया गया, लेकिन एक फ्रीजर सुधरवाने ध्यान नहीं दिया जा रहा। मर्चुरी के कर्मचारियों की मानें तो यदि दो से तीसरा शव मर्चुरी में आता है तो फिर उसे खुले में रखना पड़ता है। एक फ्रीजर में सिर्फ चार शव ही आ पा रहे हैं। जबकि एक फ्रीजर खराब पड़ा है। जीआरपी सहित अन्य थाना क्षेत्रों में अज्ञात शवों को 72 घंटे शिनाख्तगी के लिए रखने की बाध्यता होती है, ऐसे में कर्मचारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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