इसका असर भी हुआ। इस ट्रैक पर गुड्स ट्रेन की गति 60 किलोमीटर प्रति घंटे (केएमपीएच) से बढ़कर 75 हुई। यात्री ट्रेनों की गति सौ से बढ़कर 110 केएमपीएच हुई। नतीजा 24 घंटे में अब 30 के बजाये 35 मालगाडिय़ों की निकासी। इन कार्यों के बाद अब यह रेलखंड डब्ल्यूसीआर के लिए सोने की अंडा देने वाली मुर्गी साबित होगी।
डब्ल्यूसीआर के सीपीआरओ राहुल जयपुरियार बताते हैं कि गति बढऩे से लोड मालगाडिय़ों की चढ़ाई में समस्या (स्टालिंग) दूर हुई है। परिचालन में मालगाडिय़ों की संख्या बढऩे के साथ ही यात्री ट्रेनों की गति बढऩे से ज्यादा ट्रेनें चलाने में सहूलियत होगी।