scriptदेवी के नौ रूप के नौ सिद्धपीठ मंदिरों में 8175 ज्योत प्रज्ज्वलित | 8175 flame lit in nine Siddhpith temples of nine forms of Goddess | Patrika News

देवी के नौ रूप के नौ सिद्धपीठ मंदिरों में 8175 ज्योत प्रज्ज्वलित

locationकवर्धाPublished: Oct 11, 2018 11:57:06 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

बुधवार को सुबह की शुरुआत शंखनाद और घंटियों की आवाज से हुई। अश्विन शुक्ल प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो चुकी है। पूरे नौ दिन तक मां की आराधना में डूबे रहेंगे श्रद्धालु।

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कवर्धा. शुभ मुहूर्त पर नगर के नौ देवी सिद्धपीठ माता के दरबार में आस्था के ज्योत प्रज्जवलित किए। घट स्थापना की गई और माई ज्योत प्रज्ज्वलित किया गया। फिर बारी-बारी से सभी मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित किए गए।
बुधवार को सुबह की शुरुआत शंखनाद और घंटियों की आवाज से हुई। अश्विन शुक्ल प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो चुकी है। देवी मंदिरों के पट सुबह ब्रह्म मुहूर्त से खोल दिए गए और श्रद्धालुओं का आना भी शुरू हो गया। शहर में नौ देवियों की सिद्धपीठ मंदिर में हर वर्ष नवरात्रि पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि का प्रारंभ मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चारण से देवी आह्वान, स्थापना और पूजन से किया गया। घट स्थापना और देवी के लिए प्रथम ज्योति जिसे माई ज्योति कहते हैं इसे श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त पर प्रज्ज्वलित किया गया।
साल दर साल बढ़ रही मनोकामना ज्योति
नगर के सिद्धपीठ व शक्ति पीठ देवी मंदिरों में साल दर साल मनोकामना ज्योति कलश की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जिले के साथ-साथ अन्य जिले व दूसरे राज्य के श्रद्धालु भी मनोकामना के लिए नगर के नौ सिद्धपीठ देवी मंदिरों में कुल 8175 ज्योति प्रज्ज्वलित कराएं गए हैं। सबसे अधिक मां विंध्यवासिनी मंदिर में 4001 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित हुए। इसी तरह से सभी देवी मंदिरों में ज्योति कलश की संख्या बढ़ चुकी है। पूरे नौ रूप में अलग-अलग स्थानों पर विराजमान देवी मां के दर्शन के लिए बाहर से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
देर शाम तक ले जाते रहे देवी प्रतिमा
रानी दुर्गावती चौक व कुम्हार पारा से गुरुवार की सुबह से देर रात तक भीड़-भाड़ रही, क्योंकि यहां पर देवी प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा था। जैसे ही देवी प्रतिमा तैयारी होते, समिति के लोग गाडिय़ों से जयकारे की ध्वनि के साथ ले जाते रहे। देर रात तक मूर्तियों में रंग रोगन का कार्य चलता रहा। इसके चलते कई समितियों को देवी स्थापना के लिए देर रात का इंतजार करना पड़ा। हर मोहल्ले में देवी स्थापना की गई है।
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