scriptसर्वसिद्ध मुहूर्त में अक्षय तृतीया 07 को, करें लक्ष्मी की आराधना | Akshay Tritiya 07 in the all-powerful Muhurta, worship Lakshmi | Patrika News
कवर्धा

सर्वसिद्ध मुहूर्त में अक्षय तृतीया 07 को, करें लक्ष्मी की आराधना

अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहुर्त माना गया है। इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग देखने या मुहुर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती। इसी के चलते अक्षय तृतीया पर ढेरों विवाह भी होता है।

कवर्धाMay 03, 2019 / 12:42 pm

Panch Chandravanshi

Worship of goddess Lakshmi

Worship of goddess Lakshmi

इंदौरी. वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। आगामी सात मई को यह दिन सौभाग्य और सम्पन्नता देने वाला है।
पौराणिक दृष्टि से मान्यता है कि इसी दिन से त्रेता युग का आरंभ और भगवान परशुराम का अवतार हुआ था। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहुर्त माना गया है। इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग देखने या मुहुर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती। इसी के चलते अक्षय तृतीया पर ढेरों विवाह भी होता है।
शुभ संयोग सफलता का ग्रह
इस बार अक्षय तृतीया के दिन चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहेंगे, जिससे इस बार इसका महत्त्व और भी बढ़ गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से चन्द्रमा को तत्कालिक कार्यों की सफलता का ग्रह माना गया है। इसलिए किसी भी कार्य की सफलता के लिए उस समय में चन्द्रमा की अच्छी स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस बार चन्द्रमा का अपनी उच्च राशि वृष में होना नए कार्यों की शुरुआत के लिए बहुत शुभ संयोग है। वृष राशि समृद्धि के ग्रह शुक्र की है। इसलिए इस बार अक्षय तृतीया पर की गई खरीदारी भी विशेष रूप से समृद्धि देने वाली होगी।
शुभ मूहूर्त व दान का महत्व
इस दिन किए गए कार्य का कभी क्षय नहीं होता। इसीलिए शुभ और मंगल कार्यों के लिए अक्षय तृतीय का दिन बहुत शुभ है। इस दिन रिश्ता, वाग्दान संस्कार, विवाह संस्कार आदि कार्य होते हैं। व्यापार आरम्भ, नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, कोई नई वस्तु खरीदना आदि कार्य किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण खरीदना शुभ माना गया है। अगर सोना नहीं खरीद रहे हैं तो इस दिन किसी भी नई वस्तु की खरीदारी कर सकते हैं।
सामर्थ अनुरुप निर्धन व ब्राम्हणों करे दान
इस दिन किया गया दान अक्षय रहता है। इसीलिए अक्षय तृतीया के दिन अपनी सामर्थय के अनुरूप निर्धनों, ब्राह्मणों और धार्मिक स्थलों में दान अवश्य करना चाहिए। परशुराम का जन्म वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था। इस तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता है। अक्षय तृतीया के दिन ही इनकी जयंती मनाई जाती है। वहीं ग्रामीण अंचल में आज भी बच्चों से लेकर महिला, पुरुष स्नान कर मंदिरों में भगवान को पानी अर्पित करते हैं। वहीं तालाब किनारे बरगद, पीपल के वृक्षों पर पानी अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं।
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