इस बार अक्षय तृतीया के दिन चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहेंगे, जिससे इस बार इसका महत्त्व और भी बढ़ गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से चन्द्रमा को तत्कालिक कार्यों की सफलता का ग्रह माना गया है। इसलिए किसी भी कार्य की सफलता के लिए उस समय में चन्द्रमा की अच्छी स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस बार चन्द्रमा का अपनी उच्च राशि वृष में होना नए कार्यों की शुरुआत के लिए बहुत शुभ संयोग है। वृष राशि समृद्धि के ग्रह शुक्र की है। इसलिए इस बार अक्षय तृतीया पर की गई खरीदारी भी विशेष रूप से समृद्धि देने वाली होगी।
इस दिन किए गए कार्य का कभी क्षय नहीं होता। इसीलिए शुभ और मंगल कार्यों के लिए अक्षय तृतीय का दिन बहुत शुभ है। इस दिन रिश्ता, वाग्दान संस्कार, विवाह संस्कार आदि कार्य होते हैं। व्यापार आरम्भ, नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, कोई नई वस्तु खरीदना आदि कार्य किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण खरीदना शुभ माना गया है। अगर सोना नहीं खरीद रहे हैं तो इस दिन किसी भी नई वस्तु की खरीदारी कर सकते हैं।
इस दिन किया गया दान अक्षय रहता है। इसीलिए अक्षय तृतीया के दिन अपनी सामर्थय के अनुरूप निर्धनों, ब्राह्मणों और धार्मिक स्थलों में दान अवश्य करना चाहिए। परशुराम का जन्म वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था। इस तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता है। अक्षय तृतीया के दिन ही इनकी जयंती मनाई जाती है। वहीं ग्रामीण अंचल में आज भी बच्चों से लेकर महिला, पुरुष स्नान कर मंदिरों में भगवान को पानी अर्पित करते हैं। वहीं तालाब किनारे बरगद, पीपल के वृक्षों पर पानी अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं।