ये संत एकांत में कहीं गंगा के तट पर तो कहीं देव स्थल, कहीं आश्रम और तीर्थ स्थानों में रहकर नियम संयम पूर्वक सनातन वैदिक धर्म की रक्षा के लिए तपस्या आदि करते हैं। रुद्राभिषेक आदि के साथ नगर में ही जगह-जगह मठ-मंदिरों में पूरे चतुर्मास के दौरान भजन कीर्तन व प्रवचन भी होता है। इसमें श्रद्धालु शामिल होते हैं।
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