भोरमदेव शक्कर कारखाना में तीन से चार दिन बाद होती है तौल, किसान हो रहे परेशान
एक तो पर्ची में लेट लतीफी के चलते मई के पहले सप्ताह तक किसानों को तीन या चार पर्ची ही मिल पाई है। वहीं गन्ना लेकर कारखाना पहुंचने वाले किसानों को तीन से चार दिन बिताना पड़ रहा है। इसके बाद भी गन्ना का तौल नहीं हो पा रही है।
कवर्धा. गन्ना उत्पादक किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तो पर्ची में लेट लतीफी के चलते मई के पहले सप्ताह तक किसानों को तीन या चार पर्ची ही मिल पाई है। वहीं गन्ना लेकर कारखाना पहुंचने वाले किसानों को तीन से चार दिन बिताना पड़ रहा है। इसके बाद भी गन्ना का तौल नहीं हो पा रही है।
जिले में एक नहीं दो शक्कर कारखाना स्थापित है। एक भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के नाम से संचालित है तो दूसरा सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना के नाम से। इसके बाद भी किसानों की मुश्किले कम नहीं हो पा रही है। कारखाना प्रबंधन की लापरवाही के चलते एक तो किसानों को समय पर गन्ना आपूर्ति पर्ची नहीं मिल पा रहा है और अगर पर्ची मिल जाए तो गन्ना लेकर कारखाना पहुंचने वाले किसानों को तीन से चार दिनों तक रतजगा करना पड़ रहा है। क्योंकि इन दिनों कारखाना में गन्ने की आवक बढ़ गई। कारखाना के गन्ना यार्ड में ट्रेक्टर खड़ा करने के लिए भी जगह नहीं है। ऐसे में कारखाना के बाहर नेशनल हाईवे पर ट्रेक्टरों की लंबी कतार लगी हुई है। इससे जाहिर है कि किसानों को तौल कराने के लिए दो से तीन दिन तक कारखाना में ही बिताना पड़ रहा है। वहीं मई के महीने में भीषण गर्मी के साथ तेज धूप भी पड़ रही है। ऐसे में तीन से चार दिनों तक ट्रेक्टर में लदा गन्ना सूख भी रहा है। इससे किसानों को दोहरी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
गन्ने से लदी ट्रेक्टरों की लंबी कतार
भोरमदेव शक्कर कारखाना में गन्ने की आवक अधिक होने के कारण कारखाना के गन्ना यार्ड से लेकर स्कूल मैदान गन्ना से लदी ट्रैक्टरों से भरी हुई है। किसान ट्रेक्टर ट्रॉली के नीचे रात गुजार रहे हैं। वहीं सुबह होते ही नेशनल हाइवे बिलासपुर मार्ग व कारखाना के सामने गन्ने से भरी ट्रेक्टर की कतार लग जाती है, जिससे आवागमन में भी परेशानी होती है। राम्हेपुर हाई स्कूल का मैदान, पुराना रोड राम्हेपुर से लेकर हरिनछपरा उद्योग तक ट्रेक्टर कतार देखने को मिल रहा है।
चूल्हा जलाकर पकाते हैं भोजन
कड़ी धूप में मेहनत कर किसान खेतों में खड़ी गन्ना को ट्रेक्टर में लोड कर कारखाना तो ले आते हैंं, लेकिन तौल के बाद के्रन तक पहुंचने के लिए तीन से चार दिन समय लग रहा है। ऐसे में गन्ना लेकर कारखाना पहुंचने वाले किसान अपने साथ राशन समान व खाना बनाने के पात्र भी साथ लेकर आ रहे हैं और ट्रेक्टर के पास ही चुल्हा जलकार भोजन तैयार करते हैं। ताकि हॉटल में भोजन व नास्ते की खर्च से बच सके। इस तरह किसानों को कई तरह के समस्या से जूझना पड़ रहा है। किसानों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
किसानों को उठाना पड़ रहा आर्थिक बोझ
अधिकांश किसान ट्रेक्टर किराए कर अपना उत्पादन कारखाना लाते हैं। किसानों को दूरी के हिसाब से ट्रेक्टर का भाड़ा देना पड़ता है। ग्राम गोपालभवना के किसान पवन चंद्रवंशी ने बताया कि गांव से कारखाना की दूरी ३० किमी है। ट्रेक्टर मालिक को प्रति ट्रिप ३५०० रुपए का भुगतान करना पड़ता है। वहीं कारखाना में अगर ट्रेक्टर को दूसरे व तीसरे दिन रुकना पड़ा तो ट्रेक्टर मालिक प्रति दिन के हिसाब से अलग से अपना चार्ज लेता है। ऐसे में किसानों को प्रति दिन अतिरिक्त भार वहन करना पड़ता है।
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