इस वर्ष घरों के रंग-रोगन का सामान २५ फीसदी तक महंगे हो गए हैं। पेट्रोलियम के दाम बढऩे से सामान ढ़ुलाई महंगा पड़ रहा है। व्यापारियों को भाड़ा अधिक देना पड़ रहा है, जिसका असर बाजार पर दिख रहा है। सजावट के लिए मिलने वाले डिस्टेंपर, पुट्टी व रंग काफी महंगे हो गए हैं। इन सामानों को खरीदने के लिए लोगों को ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। पिछले साल की तुलना में 20 से 25 फीसदी का अंतर आ गया है, जिससे लोगों की जेब ढीली हो रही है।
किसानों के लिए खेती ही आय का एकमात्र जरिया होता है, जिसे बेचकर वे अपना खर्च वहन करते हैं। क्षेत्र में इस साल भी औसत से कम बारिश हुई है। इसके चलते साधनविहीन किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। वहीं जिन किसानों ने हाईब्रिड फसल लिए थे। वे धान कटाई के बाद जल्द से जल्द मिजाई कर रहे हैं। ताकि उन्हे बेचकर त्योहार के लिए खरीददारी कर सके। इसके चलते बाजार में भी अभी रौनक कम ही दिखाई दे रहा है। इस पर त्योहारी सामानों के महंगे होने से किसान खर्च पूरा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें चिंता सताने लगी है कि कैसे घर को चमकाएंगे और दिवाली का पटाखा जलाएंगे।
मजदूरी कर गुजर-बसर करने वाले तबके के लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है। दिनभर काम के बाद बमुश्किल दो वक्त का खाना जुटा पाते हैं। त्योहार खर्च के कारण उनके घर का आर्थिक बजट गड़बड़ा गया है। बढ़े हुए दामों में त्योहारी सामान खरीदने में दिक्कत हो रही है।