किसान न्याय यात्रा में पहले सहसपुर लोहारा से पांच किलोमीटर तक किसानों ने पैदल मार्च किया। फिर कवर्धा से सात किलोमीटर पहले से पैदल यात्रा करते हुए सरदार पटेल मैदान पहुंचे, जहां पर सभा आयोजित कर अपनी मांगों को दोहराया। किसानों द्वारा यह पैदल यात्रा पूरी तरह से शांतिपूर्वक निकाला गया। एक ही पंक्ति में किसान और महिलाएं कई किलोमीटर लंबी कतार में दिखाई दिए। महिलाओं के साथ बच्चे भी शामिल रहे। इस दौरान सभी महिलाओं और किसानों ने मास्क और गमछे से चेहरा ढका रहा। जबकि राजनीतिक पार्टी के कार्यक्रम में इसकी अनदेखी की जाती है। लेकिन यहां पर किसानों के बीच पूरी तरह से नियम का पालन किया और संयम बरती गई।
शाम को शासन-प्रशासन के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इसमें किसानों ने अपनी बात रखी। इसके साथ ही सात दिनों का समय प्रशासन को दिया कि सुतियापाट जलाशय से जो साजा के किसानों को पानी देने के लिए नहर विस्तार किया जा रहा है उसका काम रोका जाए। अन्यथा लोहारा के किसान रोकेंगे। वहीं सहसपुर लोहारा के गांवों में 15 दिनों का समय नहर विस्तार का काम शुरू करने के लिए दिया। किसानों की मांग पूरी नहीं हुई तो वह जल सत्याग्रह करेंगे।
2003 में लोहारा ब्लॉक में 7000 हेक्टेयर से अधिक क्षमता वाले सुतियापाट जलाशय का निर्माण कार्य शुरू किया गया, जो 2008 में बन कर तैयार हुआ। किसानों को विश्वास था कि बांध बनने से क्षेत्र में किसानों को कृषि और पेयजल दोनों समस्या से निजात मिलेगी। लेकिन सहसपुर लोहारा ब्लॉक के किसानों को आज भी नहर का पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।