scriptसरकार ने बनाया पढ़ाई के लिए ऐसा दबाव कि कोरोना और नियम भूल गए टीचर, झुंड बनाकर लगा दी बच्चों की क्लास | Government teachers are putting children's classes in the group | Patrika News
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सरकार ने बनाया पढ़ाई के लिए ऐसा दबाव कि कोरोना और नियम भूल गए टीचर, झुंड बनाकर लगा दी बच्चों की क्लास

शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के कारण इसका मोहल्लों के बजाए स्कूल की तरह सामूहिक कक्षाएं संचालित हो रहे हैं। (cg government school )

कवर्धाAug 10, 2020 / 01:42 pm

Dakshi Sahu

सरकार ने बनाया पढ़ाई के लिए ऐसा दबाव कि कोरोना और नियम भूल गए टीचर, झुंड बनाकर लगा दी बच्चों की क्लास

सरकार ने बनाया पढ़ाई के लिए ऐसा दबाव कि कोरोना और नियम भूल गए टीचर, झुंड बनाकर लगा दी बच्चों की क्लास

कवर्धा. वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए छग शासन के शिक्षा विभाग की महत्वकांक्षी योजना पढ़ई तुंहर द्वार के बाद पढ़ई तुंहर पारा और लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ई करवाने के लिए विशेष योजना बनाई है। कोरोनो संक्रमण के डर के चलते स्कूल खोलने की अनुमति नहीं है। इसके लिए शासन ने आदेश जारी किया शिक्षक गांव में पारा व मोहल्लों में बच्चों की पढ़ाई कराएं। लेकिन यहां शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के कारण इसका मोहल्लों के बजाए स्कूल की तरह सामूहिक कक्षाएं संचालित हो रहे हैं।
बच्चों की नियमित पढ़ाई होती रहे इसलिए शासन ने पढ़ाई तुंहर दुआर की शुरुआत की। इसी कड़ी में अब पढ़ई तुंहर पारा प्रारंभ किया गया, जिसमें शिक्षक गांव के मोहल्ले-मोहल्ले जाकर छोटे-छोटे समूह में बच्चों को पढ़ाई कराएंगे। लेकिन कबीरधाम जिले में इसके विपरित ही पढ़ाई कराया जा रहा है। पारा-मोहल्ला के बजाए गांव भर के बच्चों को एकत्रित किया जा रहा है और गांव के किसी एक स्थान पर पहली से आठवीं तक की कक्षाएं संचालित की जा रही है। भीड़ एकत्रित होने के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं हो रहा है, जहां पर कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। ऐसे में यदि किसी भी बच्चे से कोरोना फैलता है तो जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की होगी। इस तरह की कक्षाएं ही संचालित की जानी है तो स्कूल खोले नहीं दिए जाते।
शिक्षक पारा-मोहल्ले में जितने बच्चे मिलेंगे उन बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए पढ़ाई कराना है। इसमें चाहे दो बच्चे हो या फिर चार। मतलब छोटे-छोटे समूह में बच्चों को अनौपचारिक पढ़ाई कराना है। भीड़ एकत्रित नहीं करना है। इसके लिए शिक्षकों को पारा-मोहल्ले में जाकर पढ़ाने के लिए बाध्या नहीं करना है। लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। शिक्षा विभाग से कह दिया गया कि शिक्षक गांव में कक्षाएं लेकर बच्चों को पढ़ाएं।
बोड़ला, पंडरिया सहित सभी ब्लॉक में अधिकतर शिक्षक मोहल्ले के बजाए गांव की एक क्लास ले रहे हैं। इसमेंं कक्षा पहली से पांचवीं, पहली से आठवीं तक की एकसाथ कक्षाएं ले रहे हैं। कक्षाएं लेने का दबाव है तो शिक्षक नेऊर के बाजार हाट में प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक की कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। कहीं सामुदायिक भवन में। वहीं वनांचल ग्राम बांसाटोला में घर के बरामदे में जहां पर ठीक से बैठने तक की जगह नहीं है वहां पर कक्षाएं चल रहे हैं।
पढ़ाई कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा
अधिकारी एसी कमरे में बैठे बतियाने में लगे हैं और शिक्षकों पर दबाव बनाकर पढ़ाई कराने मजबूर किया जाता है। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया है कि पढ़ई तुंहर दुवार और पढ़ई तुंहर पारा, लाउडस्पीकर मॉडल पूर्णत: स्वैच्छिक और स्वप्रेरित है। मतलब इसके लिए शिक्षकों व बच्चों पर पढ़ाई के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जाना है लेकिन कबीरधाम में तो शिक्षकों को पढ़ाने और बच्चों को कक्षाओं में उपस्थिति के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी, कबीरधाम केएल महिलांगे ने बताया कि गांवों में पारा व मोहल्ला में पढ़ाई शुरू हो चुकी है। जिस मोहल्ले मेें जितने बच्चे मिलेंगे वहां आसपास व्यवस्था देखकर क्लास लेनी है। कहीं-कहीं जहां पर अधिक बच्चे होंगे वहां पर लाउडस्पीकर पढ़ाई करा सकते हैं।
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