इस अभियान की शुरुआत 22 अक्टूबर को रेंगाखार जंगल से की गई। प्रथा अनुसार विधिवत गुंग हो अर्थात पूजा सामाजिक बंधुओं द्वारा जन समुदाय को संबोधित करते हुए जात्रा को रवाना किया गया। 23 अक्टूबर को समनापुर जंगल, 24 अक्टूबर को शीतलपानी, 25 अक्टूबर को चिल्फी, 26 अक्टूबर को तरेगांव जंगल में विशाल आदिवासी जन समुदाय द्वारा जात्रा की अगुवाई किया गया। गोगों (पूजा) करते हुए 28 अक्टूबर को बोड़ला, 29 को दलदली, 30 को कुई-कुकदुर, 31 को कामठी, 1 नवंबर को पंडरिया, 2 नवंबर को पांडातराई-पोंड़ी, ३ नंबर जो जोराताल, पिपरिया पहुंचे। 4 नवंबर को विशाल आदिवासी समाज द्वारा अपने पेन पुरखा शक्तियों की जात्रा के माध्यम से जगाते हुए कवर्धा नगर भ्रमण व महा गोगों रानी दुर्गावती चौक में किया गया।