शराब की अवैध शहर के लेकर गांव-गांव तक अब भी है। हालांकि ठेका सिस्टम बदलने के बाद इसमें कमी जरूर आयी है, लेकिन लगाम नहीं लगा है। कवर्धा के लोहारा नाका में रात नौ बजे के बाद मांग के अनुरूप शराब उपलब्ध हो जाती है। मतलब साफ है कि लोहारा नाका के आसपास शराब की अवैध बिक्री हो रही है। बावजूद आबकारी विभाग के अधिकारी व निरीक्षक केवल औपचारिकता निभाते हुए काम कर रहे हैं। यही स्थिति चिल्फी की है। चिल्फी में देशी शराब दुकान है अंग्रेजी की नहीं।
बावजूद डिमांड के अनुरूप अंगे्रजी शराब उपलब्ध हो जाता है। कीमत पर 20 से 50 रुपए तक बढ़ोत्तरी कर यहां पर अंग्रेजी शराब की बिक्री होती है। यहीं लोहारटोला में बड़ी मात्रा में महुआ शराब बनाया जाता है। रोजाना यहां जमघट लगता है बावजूद आबकारी विभाग और पुलिस की कार्रवाई शून्य है। इसके अलावा चिल्फी से तीन किमी दूर ग्राम बेंदा में बड़े पैमाने पर महुआ शराब बनाया जाता है। चिल्फी सहित आसपास के कई गांव के लोग यहां पर शराब पीने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन समझ से परे तो यह है कि इसकी जानकारी होने के बाद भी आबकारी के विभाग के जिम्मेदार अधिकारी खामोश क्यों बैठे रहते हैं। जबकि रोजाना किसी न किसी गांवों में दबिश देकर कार्रवाई करनी चाहिए।
नगर में बिक्री हो रही
पांडातराई और बोड़ला नगर में भी खुलेआम शराब की अवैध बिक्री होती है। जिस समय शराब चाहिए उपलब्ध हो जाती है। देशी के अलावा अंग्रेजी भी मिल जाती है। ऐसे में ठेका पद्धति और शासन के कार्पोशन से बिक्री में कोई अंतर ही नहीं दिख रहा।
गांव का माहौल खराब कर रहे
गांवों में शराब की अवैध बिक्री करने वाले, महुआ का शराब बनाकर बचने वालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसा ही हाल बोड़ला ब्लॉक के ग्राम अचानकपुर के ग्राम बोइरकचरा का है। यहां पर बड़ी मात्रा में लोग महुआ का शराब बनाते व बेचते हैं। इसके लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही। और ऐसा भी नहीं है कि इसकी जानकारी आबकारी विभाग को हो।