पीएम आवास की सूची में नाम आने के बाद संबलू का पक्के मकान का सपना साकार होने से परिवार में खुशी का लहर था। दुकानदारों से कर्ज लेकर ईंट, रेत, सिमेंट सहित अन्य निर्माण सामाग्री खरीदकर आवास निर्माण कराए, लेकिन अब तीन माह बीतने के बाद अगली किस्त के लिए सरपंच, सचिव व बैंक के चक्कर लगा कर पांव घिसकर थक गए। अब दुकानदार के लगातार मिल रही तकाजा से परेशान है। ऐसे में हितग्राही को विकट समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में आवास अधूरा पड़ा है। ऐसे में परिवार को गुजर-बसर करने के लिए किराए के घर में रहना पड़ रहा है।
इस गांव में यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके अलावा आठ और हितग्राही का मकान अधुरा पड़ा है। कई लोग अपने गहने को गिरवी रख कर कर्ज अदा कर रहे हैं। वहीं हितग्राही संतोष नेताम ने बताया कि उन पर लगभग ४० हजार रुपए का कर्ज चढ़ गया है। उसे चुकता करने के लिए उनके दोनों बेटे पुना चले गए हैं।
आवास निर्माण के शुरुवात में योजना तहत प्रथम किश्त के रुप में ३५ हजार रुपए सीधे खाते में आ गया। पैसे आने के बाद हितग्राही परिवार कच्चे मकान तोड़ कर सज्जा लेबल तक निर्माण भी कर लिया है, जिसमें करीब लाख रुपए खर्च किए। अब दो माह बीतने के बाद भी अगली किस्त की राशि नहीं मिल रहा है। अब अधूरे आवास पूरी करने के लिए बकरी मूर्गी बेचना पड़ रहा है।